पहले blog में हमने वर्ण तथा उसके
भेद स्वर की बात की थी| उसमें हम स्वर की परिभाषा तथा स्वरों की संख्या की बात कर
चुकें हैं | इस अध्याय में हम स्वर के भेदों की चर्चा करेंगें |
जिन स्वरों के उच्चारण में जितना समय
लगता है उसी अनुसार स्वरों में भेद किया गया है | कुछ स्वरों के उच्चारण में कम
समय लगता है तथा कुछ स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगता है | इसी दृष्टि से
स्वरों के 3 भेद हैं |
ह्रस्व स्वर -
जिन
स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है वे 'ह्रस्व स्वर' कहलाते हैं
| जैसे - अ , इ, उ
महत्वपूर्ण
बिंदु -
स्वरों को मात्रा की दृष्टि से भी अलग किया जाता है | उस अनुसार 'ह्रस्व
स्वर' एक मात्रिक है अर्थात एक मात्र वाले वर्ण |
एकमात्रिक होने के कारण ही इनके उच्चारण में सब से कम समय लगता है |
अ / आ + इ / ई = ए
दीर्घ स्वर- जिन
स्वरों के उच्चारण में 'ह्रस्व स्वरों' से
अधिक
समय लगता है वह 'दीर्घ
स्वर' कहलाते
हैं |
जैसे - आ , ई , ऊ
मात्रा
की दृष्टि से दीर्घ स्वर द्विमात्रिक स्वर
कहलाते हैं अर्थात दो मात्रा वाले स्वर |
दो मात्रा वाले होने के कारण ही इनके
उच्चारण में 'ह्रस्व स्वर' से दुगना समय लगता है |
जैसे
-
अ +
अ = आ
इ +
इ = ई
उ +
उ = ऊ
प्लुत
स्वर - जिन
स्वरों के उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है वे 'प्लुत स्वर'
कहलाते हैं |
मात्रा की दृष्टि से ये त्रिमात्रिक होते हैं अर्थात तीन मात्रा वाले
स्वर | तीन मात्रा वाले स्वर होने के कारण
ही इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से तिगुना समय लगता है |
जैसे 'ओउम्'
इन तीन भेदों के अतरिक्त स्वर का एक
भेद और भी है जो है –
सयुंक्त
स्वर - दो असमान स्वरों के मिलने से 'सयुंक्त
स्वर' बनते हैं | जैसे –
ए , ऐ , ओ , औ
ये सयुंक्त स्वर इन स्वरों
के मिश्रण से बनते हैं ,
अ / आ + इ / ई = ए
अ
/ आ + ए = ऐ
अ
/ आ + उ / ऊ = ओ
अ / आ + ओ = औ
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अगले
Blog में हम व्यंजन के विषय में बात करेंगे |