Tuesday 23 May 2017

वर्ण (Varn)


किसी भी भाषा को सीखने की इच्छा रखने वाले को उस भाषा की मूल ध्वनियाँ सीखनी चाहिए | जैसे यदि हम  अंग्रेज़ी भाषा सीखना चाहते हैं तो सबसे पहले उसके A से Z तक के वर्ण (Alphabets) सीखने पड़ते हैं| उसी तरह हिंदी सीखने के लिए भी सबसे पहले 'अ' से लेकर 'ह' तक के वर्णों को सीखना आवश्यक है| 

भाषा की ये मूल ध्वनियाँ ही वर्ण कहलाती हैं|

वर्ण - 

भाषा की वह छोटी से छोटी इकाई (unit) या ध्वनि जिसके आगे खंड नहीं किये जा सकते वर्ण कहलाती है | जैसे -
क् , च् , ट् , त् , प् , अ ...

वर्णों का समूह वर्णमाला कहलाता है | इन वर्णों को मुख्यतः दो खण्डों में विभाजित किया गया है |



स्वर -  

जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास वायु बिना किसी से टकराए अर्थात बिना किसी रूकावट के सीधी बाहर निकल जाती है वे वर्ण स्वर कहलाते हैं|

जिन वर्णों के उच्चारण के समय किसी अन्य ध्वनि के सहारे की आवश्यकता नहीं होती | जैसे –
अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ (11 स्वर )

महत्त्वपूर्ण तथ्य  - 

यह बात ध्यान देने योग्य है कि 'ऋ' का उच्चारण 'रि' होता है और 'रि' में 'र' व्यंजन ध्वनि है अत: 'ऋ' को पूर्णरूप से स्वर नहीं माना जा सकता|  इसलिए आजकल इसे स्वर और व्यंजन से अतिरिक्त वर्ण माना जाने लगा है| अत: अब स्वरों की संख्या 10 ही मानी जाती है|

अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , , ए , ऐ , ओ , औ  (10 स्वर )

स्वर - भाषा में स्वतंत्र रूप से भी लिखे जाते हैं व मात्राओं के रूप में भी लिखे जाते हैं | इस दृष्टि से स्वर के भेद हैं |







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