Thursday 29 June 2017

तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास



1. तत्पुरुष का अर्थ ही है ‘उसका पुरुष’ जैसे – सेनापति (सेना का पति ) यहाँ ‘सेनापति ’ शब्द में दूसरा पद पति (स्वामी ) है अत: वह प्रधान है |


2. इस समास में पहला शब्द दूसरे शब्द पर निर्भर होता है अत: दूसरा शब्द (उत्तर पद ) प्रधान होता है |

3. इस समास में दोनों शब्दों के बीच आने वाले कारक चिह्नों – को ,से (साधन अर्थ में ),के लिए , से (अलग होने अर्थ में ), का / के / की , में पर का लोप होता है | कारक चिह्नों के अनुसार इस समास के छ: भेद हो जाते हैं |

4.  कर्ता कारक व संबोधन कारक को इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता |

तत्पुरुष समास के भेद


१ कर्म तत्पुरुष समास – ‘को’ चिह्न का लोप करने से यह समास बनता है ; जैसे –

ग्रंथकार – ग्रंथ को लिखने वाला माखनचोर – माखन को चुराने वाला 
सम्मानप्राप्त – सम्मान को प्राप्त परलोकगमन – परलोक को गमन 
शरणागत – शरण को आगत आशातीत –आशा को लाँघकर गया हुआ 

२ करण तत्पुरुष समास – करण कारक के दो चिह्न होते हैं – ‘से’ और ‘के द्वारा’ |जब इन चिह्नों का लोप करके समास बनता है तो वह करण तत्पुरुष समास कहलाता है |

गुरुदत्त – गुरु द्वारा दत्त वाल्मीकिरचित – वाल्मीकि द्वारा रचित 
शोकातुर – शोक से आतुर कष्टसाध्य – कष्ट से साध्य 
मनमाना – मन से माना हुआ शराहत – शर से आहत 

३ सम्प्रदान तत्पुरुष समास – इसमें कारक चिह्न – ‘के लिए’ का लोप हो जाता है |


रसोईघर – रसोई के लिए घर देशार्पण – देश के लिए अर्पण
पाठशाला – पाठ के लिए शाला डाकगाड़ी – डाक के लिए गाड़ी 
गौशाला – गौओं के लिए शाला सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह 


४ अपादान तत्पुरुष समास – अपादान कारक का चिह्न ‘से’ ( अलग होने के अर्थ में , भयभीत होने के अर्थ में ) का लोप हो जाता है |


विद्यारहित - विद्या से रहित पथभ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट
जीवनमुक्त – जीवन से मुक्त धनहीन – धन से हीन 
रोगमुक्त – रोग से मुक्त बंधनमुक्त – बंधन से मुक्त 

५ सम्बन्ध तत्पुरुष समास – सम्बन्ध कारक के चिह्न ‘का’ ‘के’ ‘की’ का लोप होता है |


भूदान – भू का दान राष्ट्रगौरव – राष्ट्र का गौरव 
राजसभा – राजा की सभा जलधारा – जल की धारा 
भारतरत्न – भारत का रत्न पुष्पवर्षा – पुष्पों की वर्षा 

६ अधिकरण तत्पुरुष समास
अधिकरण कारक के चिह्न ‘में’ और ‘पर’ का लोप होता है |


पर्वतारोहण – पर्वत पर आरोहण 
जलसमाधि – जल में समाधि 
जलज – जल में जन्मा 
नीतिकुशल – नीति में कुशल 


तत्पुरुष समास के उपभेद – कर्मधारय समास व द्विगु समास के अतिरिक्त तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद भी हैं जो इस प्रकार हैं -



1 नञ् तत्पुरुष समास – निषेध (नकारात्मक) आदि के अर्थ में पूर्वपद न या अन लगाकर नञ् तत्पुरुष समास बनता है परन्तु अब हिंदी में इन पूर्वपदों को उपसर्ग मान कर समास पदों से अलग उपसर्गों से बनने वाले शब्द मान लिए गए हैं |


अजर – न जर अधीर – न धीर 
अनादर – न आदर अनहोनी – न होनी 
अकारण – न कारण अनदेखी – न देखी 


2 उपपद तत्पुरुष समास – ऐसा समास जिनका उत्तरपद भाषा में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त न होकर प्रत्यय के रूप में ही प्रयोग में लाया जाता है ; जैसे –



नभचर , कृतज्ञ , कृतघ्न , जलद , लकड़हारा इत्यादि |


3 लुप्तपद तत्पुरुष समास
– जब किसी समास में कोई कारक चिह्न अकेला लुप्त न होकर पूरे पद सहित लुप्त हो और तब उसका सामासिक पद बने तो वह लुप्तपद तत्पुरुष समास कहलाता है ;


जैसे - दहीबड़ा – दही में डूबा हुआ बड़ा 
ऊँटगाड़ी – ऊँट से चलने वाली गाड़ी 
पवनचक्की – पवन से चलने वाली चक्की आदि |

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