वाक्य – व्याकरणिक दृष्टि से भाषा की सबसे बड़ी रचना वाक्य है |
‘शब्दों का वह सार्थक समूह , जो किसी न किसी भाव को प्रकट करता है , वह वाक्य कहलाता है |’
शब्दों का समूह मात्र वाक्य नहीं होता ; जैसे –
राममोहनश्यामसोहनगीता
यह एक शब्द समूह होकर भी वाक्य नहीं है क्योंकि यह न तो किसी भाव को प्रकट करता है और न ही किसी अर्थ की प्रतीति कराता है |
शब्दों के समूह को वाक्य कहलाने के लिए पाँच बातें होनी चाहिए –
1. सार्थकता – वाक्य के शब्द सार्थक होने चाहिए |
2. आकांक्षा – वाक्य इस प्रकार का होना चाहिए कि उसे सुनकर भाव समझने की आकांक्षा न रहे अर्थात पूरा भाव प्रकट हो जाना चाहिए |
3. योग्यता – शब्दों में प्रसंगानुकूल भाव बोध की योग्यता होनी चाहिए |
4. समीपता – वाक्य के शब्द समीप होने चाहिए अर्थात उनमें निकटता होनी चाहिए |
5. अन्विति – व्याकरण की दृष्टि से एकरूपता होनी चाहिए |
वाक्य के अंग / घटक
प्रत्येक वाक्य के दो प्रमुख अंग होते हैं - १. कर्ता और २. क्रिया
उद्देश्य - कर्ता के विस्तार को उद्देश्य तथा
विधेय - क्रिया के विस्तार को विधेय कहते हैं |
उद्देश्य – वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाता है वह उद्देश्य कहलाता है |
विधेय – उद्देश्य के विषय में जो कुछ खा जाता है वह विधेय कहलाता है |
जैसे –
सूरज चमकता है |
सूरज – उद्देश्य है
चमकता है – विधेय है
उद्देश्य का विस्तार - उद्देश्य के अर्थ में विशेषता प्रकट करने के लिए जो शब्द या शब्दांश कर्ता के साथ जोड़े जाते हैं , उन्हें ‘उद्देश्य का विस्तारक’ कहा जाता है |
उद्देश्य का विस्तार संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण तथा वाक्यांश से होता है ;
जैसे –
मेहनती व्यक्ति सदैव सफल होते हैं |
यहाँ ‘मेहनती’ विशेषण , उद्देश्य ‘व्यक्ति’ का विस्तारक है |
विधेय का विस्तार – जो शब्द विधेय के अर्थ में विशेषता बताने का कार्य करते हैं ‘विधेय के विस्तारक’ कहलाते हैं |
विधेय का विस्तार कारक , क्रियाविशेषण तथा पूर्वकालिक क्रिया द्वारा होता है |
वह लड़का ध्यानपूर्वक सुनता है |
यहाँ ‘सुनता है’ विधेय का ‘ध्यानपूर्वक’ विस्तारक है |
वाक्य के प्रकार
१. अर्थ के आधार पर और
२. रचना के आधार पर
अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं ; जो इस प्रकार हैं –
1. विधि वाचक वाक्य या विधानार्थक वाक्य
2. निषेधवाचक / निषेधात्मक वाक्य
3. आदेशात्मक वाक्य / आज्ञार्थक वाक्य
4. प्रश्नवाचक वाक्य
5. संदेहार्थक /संदेह सूचक वाक्य
6. इच्छार्थक / इच्छा वाचक वाक्य
7. संकेतवाचक वाक्य
8. विस्मयादिबोधक वाक्य
1. विधि वाचक वाक्य या विधानार्थक वाक्य – जिस वाक्य से किसी कार्य के होने का पता चले; जैसे –
परिश्रमी लोग सफल होते हैं |
2. निषेधवाचक / निषेधात्मक वाक्य – जहाँ कार्य का निषेध हो अर्थात जिससे किसी कार्य के न होने का बोध हो ; जैसे –
लड़की ने खाना नहीं खाया |
मैं राजस्थान घूमने नहीं गया |
3. आदेशात्मक वाक्य / आज्ञार्थक वाक्य – जिस वाक्य में किसी तरह का उपदेश , आज्ञा व आदेश दिया गया हो ; जैसे -
दरवाजा बंद करो |
4. प्रश्नवाचक वाक्य – जिस वाक्य में किसी तरह के प्रश्न का बोध हो | (कहाँ , कब , कैसे , क्यों , किसका आदि ) जैसे –
मेरी पुस्तक कहाँ है ?
तुम दिल्ली से कब लौटोगे ?
5. संदेहार्थक /संदेह सूचक वाक्य – जिस वाक्य में संदेह , शंका या संभावना की सूचना दी गई हो ; जैसे –
शायद लड़की खाना खाएगी |
संभवत: वह आज आयेगा |
6. इच्छार्थक / इच्छा वाचक वाक्य - जिस वाक्य में इच्छा , शुभकामना या आशीर्वाद व्यक्त हो ; जैसे –
ईश्वर तुम्हें लम्बी आयु प्रदान करे |
तुम्हारी यात्रा सफल हो |
7. संकेतवाचक वाक्य – जिस वाक्य में किसी प्रकार की शर्त या संकेत व्यक्त हो ; जैसे –
तुम उधर बैठो |
8. विस्मयादिबोधक वाक्य - जिस वाक्य में विस्मय , हर्ष ,शोक ,घृणा के भावों का बोध हो ; जैसे –
वाह ! कितना सुन्दर फूल है |
अहा ! आज खाने में मजा आ गया |
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