‘वाक्य’ भाषा की महत्त्वपूर्ण इकाई है अत: वाक्य को बोलते व लिखते समय उसकी शुद्धता ,स्पष्टता और सार्थकता का ध्यान रखना आवश्यक है |
व्याकरण के नियमों की दृष्टि से ‘वाक्य’ को शुद्ध होना चाहिए | अत: वाक्य को व्याकरण के नियमों के अनुसार शुद्ध करना ही ‘अशुद्धि शोधन’ कहलाता है |
वाक्यों में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –
1. वर्तनी संबंधी अशुद्धि
आशिर्वाद – आशिरवाद - अशुद्ध आशीर्वाद – शुद्ध
उज्वल - उज्जवल - अशुद्ध उज्ज्वल - शुद्ध
कवित्री - कवियत्री - अशुद्ध कवयित्री - शुद्ध
2. शब्द – अर्थ प्रयोग की अशुद्धि
कभी -कभी वाक्यों में शब्दों का उनके अर्थों के आधार पर प्रयोग नहीं किया जाता है अत: वह प्रयोग शुद्ध नहीं रहता ; जैसे –
अशुद्ध रूप - मैं उपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे |
शुद्ध रूप - मैं अपेक्षा करता हूँ ... |
अशुद्ध रूप - मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है |
अशुद्ध रूप - मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है |
शुद्ध रूप - मैंने अपना गृहकार्य -----|
अशुद्ध रूप - तुम हमेशा बेफ़िजूल की बातें करते हो |
अशुद्ध रूप - तुम हमेशा बेफ़िजूल की बातें करते हो |
शुद्ध रूप - तुम हमेशा फ़िजूल -------|
3. लिंग संबंधी अशुद्धि
कभी - कभी वाक्यों में लिंग संबंधी गलत प्रयोग किए जाते हैं ; जैसे –
अशुद्ध रूप - यह दही मीठी है |
शुद्ध रूप - दही मीठा है |
अशुद्ध रूप - आज तुमने नया पोशाक पहना है |
शुद्ध रूप - तुमने नई पोशाक पहनी है |
अशुद्ध रूप - मुझे तुम्हारा बातें सुनना पड़ा |
अशुद्ध रूप - मुझे तुम्हारा बातें सुनना पड़ा |
शुद्ध रूप - मुझे तुम्हारी बातें सुननी पड़ी |
अशुद्ध रूप - कल मैंने नया पुस्तक ख़रीदा |
अशुद्ध रूप - कल मैंने नया पुस्तक ख़रीदा |
शुद्ध रूप - मैंने नई पुस्तक खरीदी |
4. वचन संबंधी अशुद्धि
वाक्यों में वचन संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं ; जैसे –
अशुद्ध रूप - भारत में अनेकों राज्य हैं |
अशुद्ध रूप - भारत में अनेकों राज्य हैं |
शुद्ध रूप - अनेक राज्य
अशुद्ध रूप - प्रत्येक वृक्ष फल देते हैं |
अशुद्ध रूप - प्रत्येक वृक्ष फल देते हैं |
शुद्ध रूप - प्रत्येक वृक्ष फल देता है
अशुद्ध रूप - इस समय चार बजा है |
शुद्ध रूप - चार बजे हैं
अशुद्ध रूप - मैं तो आपका दर्शन करने आया हूँ |
अशुद्ध रूप - मैं तो आपका दर्शन करने आया हूँ |
शुद्ध रूप - आपके दर्शन
वाक्य में क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग एवं वचन के अनुसार किया जाता है अन्यथा वह वाक्य अशुद्ध समझा जाता है |
अशुद्ध रूप - राम और सीता वन को गई |
5. क्रिया संबंधी अशुद्धि
वाक्य में क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग एवं वचन के अनुसार किया जाता है अन्यथा वह वाक्य अशुद्ध समझा जाता है |
अशुद्ध रूप - राम और सीता वन को गई |
शुद्ध रूप - वन को गए |
अशुद्ध रूप - उनकी बातें सुनते – सुनते कान पक गया |
अशुद्ध रूप - उनकी बातें सुनते – सुनते कान पक गया |
शुद्ध रूप - कान पक गए |
अशुद्ध रूप - मेरी बहन दिल्ली से वापस आया है |
अशुद्ध रूप - मेरी बहन दिल्ली से वापस आया है |
शुद्ध रूप - मेरी बहन दिल्ली से वापस आई है |
अनावश्यक क्रिया पद का प्रयोग
अशुद्ध रूप - यहाँ अशोभनीय वातावरण उपस्थित है |
शुद्ध रूप - यहाँ अशोभनीय वातावरण है |
अशुद्ध रूप - अब और स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता नहीं है |
अशुद्ध रूप - अब और स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता नहीं है |
शुद्ध रूप - अब और स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है |
अशुद्ध रूप - वह सिलाई और अंग्रेजी पढ़ती है |
आवश्यक क्रिया पद का प्रयोग न होना
अशुद्ध रूप - वह सिलाई और अंग्रेजी पढ़ती है |
शुद्ध रूप - वह सिलाई सीखती है और अंग्रेजी पढ़ती है |
अशुद्ध रूप - वह तो खाना और चाय पीकर सो गया |
अशुद्ध रूप - वह तो खाना और चाय पीकर सो गया |
शुद्ध रूप - वह तो खाना खाकर और चाय पीकर सो गया |
अशुद्ध रूप - खबर सुनकर मैं विस्मय हो गया |
अनुपयुक्त क्रिया पद
अशुद्ध रूप - खबर सुनकर मैं विस्मय हो गया |
शुद्ध रूप - खबर सुनकर मैं विस्मित हो गया |
अशुद्ध रूप - मैं माताजी को खाना डालकर / देकर आई |
अशुद्ध रूप - मैं माताजी को खाना डालकर / देकर आई |
शुद्ध रूप - मैं माताजी को खाना परोसकर आई |
हिंदी में कुछ विशेष संज्ञाओं के लिए विशेष क्रियाओं का ही प्रयोग किया जाता है ; जैसे –
हिंदी में कुछ विशेष संज्ञाओं के लिए विशेष क्रियाओं का ही प्रयोग किया जाता है ; जैसे –
अशुद्ध रूप - दान दिया |
शुद्ध रूप - दान किया |
अशुद्ध रूप - प्रतीक्षा देखना |
अशुद्ध रूप - प्रतीक्षा देखना |
शुद्ध रूप - प्रतीक्षा करना |
अशुद्ध रूप - प्रयोग होना |
अशुद्ध रूप - प्रयोग होना |
शुद्ध रूप - प्रयोग करना |
अशुद्ध रूप - प्रश्न पूछना |
अशुद्ध रूप - प्रश्न पूछना |
शुद्ध रूप - प्रश्न करना |
स्थानीय बोलियों के प्रयोग से भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है ; जैसे –
अशुद्ध रूप - वह खाना खावेगा |
स्थानीय बोलियों के प्रयोग से भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है ; जैसे –
अशुद्ध रूप - वह खाना खावेगा |
शुद्ध रूप - खाना खायेगा |
अशुद्ध रूप - उसने जैसी करी है , मैं नहीं कर सकता |
अशुद्ध रूप - उसने जैसी करी है , मैं नहीं कर सकता |
शुद्ध रूप - उसने जैसा किया है , मैं नहीं कर सकता |
कर्ताकारक संबंधी अशुद्धि – भूतकाल में सकर्मक क्रिया होने पर ‘ने’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है ; जैसे –
अशुद्ध रूप - मैं सारी पुस्तक पढ़ डाली |
5 कारक संबंधी अशुद्धि
वाक्यों में कारक संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं |
कर्ताकारक संबंधी अशुद्धि – भूतकाल में सकर्मक क्रिया होने पर ‘ने’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है ; जैसे –
अशुद्ध रूप - मैं सारी पुस्तक पढ़ डाली |
शुद्ध रूप - मैंने सारी पुस्तक पढ़ डाली |
अशुद्ध रूप - वह लड़का पीटता है |
कर्मकारक संबंधी अशुद्धि – किसी वाक्य में जब कर्म को अधिक महत्त्व दिया जाता है तो वहाँ कर्मकारक के चिह्न ‘को’ का प्रयोग किया जाता है; अन्यथा उसका प्रयोग नहीं किया जाता | जैसे –
शुद्ध रूप - वह लड़के को पीटता है |
अशुद्ध रूप - मैं शीतल जल को पी रहा हूँ |
अशुद्ध रूप - मैं शीतल जल को पी रहा हूँ |
शुद्ध रूप - मैं शीतल जल पी रहा हूँ |
अशुद्ध रूप - वह बस पर यात्रा कर रहा है |
करणकारक संबंधी अशुद्धि
करणकारक संबंधी अशुद्धि
अशुद्ध रूप - वह बस पर यात्रा कर रहा है |
शुद्ध रूप - वह बस से यात्रा कर रहा है |
अशुद्ध रूप - पंडितजी ने भक्तों के लिए कथा सुनाई |
सम्प्रदानकारक संबंधी अशुद्धि – सम्प्रदान कारक के दो चिह्न हैं ‘के लिए’ और ‘को’ | यदि एक के स्थान पर दूसरे का प्रयोग हो जाता है तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है; जैसे -
अशुद्ध रूप - पंडितजी ने भक्तों के लिए कथा सुनाई |
शुद्ध रूप - पंडितजी ने भक्तों को कथा सुनाई |
अशुद्ध रूप - शिष्य यज्ञ को लकड़ी लाया |
अशुद्ध रूप - शिष्य यज्ञ को लकड़ी लाया |
शुद्ध रूप - शिष्य यज्ञ के लिए लकड़ी लाया |
अशुद्ध रूप - वह शहर के खिलौने लाकर बेचता है |
अपादानकारक संबंधी अशुद्धि
अशुद्ध रूप - वह शहर के खिलौने लाकर बेचता है |
शुद्ध रूप - वह शहर से खिलौने लाकर बेचता है |
अशुद्ध रूप - लड़की झूले पर से गिर गई |
अशुद्ध रूप - लड़की झूले पर से गिर गई |
शुद्ध रूप - लड़की झूले से गिर गई |
अशुद्ध रूप - बिना पैसे का किसी भी आदमी को सम्मान नहीं मिलता |
संबंधकारक संबंधी अशुद्धि
अशुद्ध रूप - बिना पैसे का किसी भी आदमी को सम्मान नहीं मिलता |
शुद्ध रूप - बिना पैसे के किसी भी आदमी को सम्मान नहीं मिलता |
अशुद्ध रूप - राधा का और कृष्ण का मंदिर प्रसिद्ध है |
शुद्ध रूप - राधाकृष्ण का मंदिर प्रसिद्ध है |
नोट – सामासिक पद में चिह्न लुप्त हो जाते हैं |
अशुद्ध रूप - आज बजट के ऊपर बहस होगी |
नोट – सामासिक पद में चिह्न लुप्त हो जाते हैं |
अधिकरणकारक संबंधी अशुद्धि
अशुद्ध रूप - आज बजट के ऊपर बहस होगी |
शुद्ध रूप - आज बजट पर बहस होगी |
अशुद्ध रूप - किसान ने खेत पर बीज बोया है |
अशुद्ध रूप - किसान ने खेत पर बीज बोया है |
शुद्ध रूप - किसान ने खेत में बीज बोया है |
अशुद्ध रूप - घर पर सब कुशल हैं |
अशुद्ध रूप - घर पर सब कुशल हैं |
शुद्ध रूप - घर में सब कुशल हैं |
--Dr. Kusum Sharma
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