Tuesday 11 July 2017

अशुद्धि शोधन - Part 1


‘वाक्य’ भाषा की महत्त्वपूर्ण इकाई है अत: वाक्य को बोलते व लिखते समय उसकी शुद्धता ,स्पष्टता और सार्थकता का ध्यान रखना आवश्यक है |

व्याकरण के नियमों की दृष्टि से ‘वाक्य’ को शुद्ध होना चाहिए | अत: वाक्य को व्याकरण के नियमों के अनुसार शुद्ध करना ही ‘अशुद्धि शोधनकहलाता है |


वाक्यों में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –

1. वर्तनी संबंधी अशुद्धि


 इतिहासिक – एतिहासिक – अशुद्ध                     ऐतिहासिक – शुद्ध
आशिर्वाद – आशिरवाद -     अशुद्ध                     आशीर्वाद – शुद्ध
उज्वल - उज्जवल          -     अशुद्ध                      उज्ज्वल - शुद्ध
कवित्री - कवियत्री          -     अशुद्ध                     कवयित्री - शुद्ध


2. शब्द – अर्थ प्रयोग की अशुद्धि


कभी -कभी वाक्यों में शब्दों का उनके अर्थों के आधार पर प्रयोग नहीं किया जाता है अत: वह प्रयोग शुद्ध नहीं रहता ; जैसे – 


अशुद्ध रूपमैं उपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे | 
शुद्ध रूप -  मैं अपेक्षा करता हूँ ... |

अशुद्ध रूप - मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है | 
शुद्ध रूप - मैंने अपना गृहकार्य -----|

अशुद्ध रूप - तुम हमेशा बेफ़िजूल की बातें करते हो | 
शुद्ध रूप - तुम हमेशा फ़िजूल -------| 


3. लिंग संबंधी अशुद्धि


कभी - कभी वाक्यों में लिंग संबंधी गलत प्रयोग किए जाते हैं ; जैसे –


अशुद्ध रूप - यह दही मीठी है |  
शुद्ध रूप -  दही मीठा है |

अशुद्ध रूप - आज तुमने नया पोशाक पहना है | 
शुद्ध रूप -  तुमने नई पोशाक पहनी है |

अशुद्ध रूप - मुझे तुम्हारा बातें सुनना पड़ा | 
 शुद्ध रूप - मुझे तुम्हारी बातें सुननी पड़ी |

अशुद्ध रूप - कल मैंने नया पुस्तक ख़रीदा | 
 शुद्ध रूप - मैंने नई पुस्तक खरीदी |


4. वचन संबंधी अशुद्धि


वाक्यों में वचन संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं ; जैसे –

अशुद्ध रूप - भारत में अनेकों राज्य हैं | 
शुद्ध रूप - अनेक राज्य 

अशुद्ध रूप - प्रत्येक वृक्ष फल देते हैं | 
 शुद्ध रूप प्रत्येक वृक्ष फल देता है 

अशुद्ध रूप - इस समय चार बजा है | 
शुद्ध रूप -  चार बजे हैं 

अशुद्ध रूप - मैं तो आपका दर्शन करने आया हूँ | 
शुद्ध रूप - आपके दर्शन


5. क्रिया संबंधी अशुद्धि


वाक्य में क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग एवं वचन के अनुसार किया जाता है अन्यथा वह वाक्य अशुद्ध समझा जाता है |

अशुद्ध रूप - राम और सीता वन को गई | 
शुद्ध रूप -  वन को गए 

अशुद्ध रूप - उनकी बातें सुनते – सुनते कान पक गया | 
शुद्ध रूप -  कान पक गए 

अशुद्ध रूप - मेरी बहन दिल्ली से वापस आया है | 
शुद्ध रूप -  मेरी बहन दिल्ली से वापस आई है 


अनावश्यक क्रिया पद का प्रयोग 



अशुद्ध रूप - यहाँ अशोभनीय वातावरण उपस्थित है | 
शुद्ध रूप - यहाँ अशोभनीय वातावरण है |

अशुद्ध रूप - अब और स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता नहीं है | 
शुद्ध रूप - अब और स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है |

आवश्यक क्रिया पद का प्रयोग न होना 



अशुद्ध रूप - वह सिलाई और अंग्रेजी पढ़ती है | 
शुद्ध रूप  - वह सिलाई सीखती है और अंग्रेजी पढ़ती है | 

अशुद्ध रूप - वह तो खाना और चाय पीकर सो गया | 
शुद्ध रूप - वह तो खाना खाकर और चाय पीकर सो गया |

अनुपयुक्त क्रिया पद 



अशुद्ध रूप - खबर सुनकर मैं विस्मय हो गया | 
शुद्ध रूप - खबर सुनकर मैं विस्मित हो गया |

अशुद्ध रूप - मैं माताजी को खाना डालकर / देकर आई | 
शुद्ध रूप - मैं माताजी को खाना परोसकर आई |

हिंदी में कुछ विशेष संज्ञाओं के लिए विशेष क्रियाओं का ही प्रयोग किया जाता है ; जैसे –


अशुद्ध रूप - दान दिया 
शुद्ध रूप - दान किया 

अशुद्ध रूप - प्रतीक्षा देखना 
शुद्ध रूप - प्रतीक्षा करना 

अशुद्ध रूप - प्रयोग होना 
शुद्ध रूप - प्रयोग करना 

अशुद्ध रूप - प्रश्न पूछना 
शुद्ध रूप - प्रश्न करना |

स्थानीय बोलियों के प्रयोग से भी वाक्य अशुद्ध हो जाता है ; जैसे –


अशुद्ध रूप - वह खाना खावेगा | 
शुद्ध रूप - खाना खायेगा 

अशुद्ध रूप - उसने जैसी करी है , मैं नहीं कर सकता | 
शुद्ध रूप - उसने जैसा किया है , मैं नहीं कर सकता |




5 कारक संबंधी अशुद्धि 



वाक्यों में कारक संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं |


कर्ताकारक संबंधी अशुद्धि – भूतकाल में सकर्मक क्रिया होने पर ‘ने’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है ;
जैसे –
 


अशुद्ध रूप - मैं सारी पुस्तक पढ़ डाली | 
शुद्ध रूप - मैंने सारी पुस्तक पढ़ डाली |


कर्मकारक संबंधी अशुद्धिकिसी वाक्य में जब कर्म को अधिक महत्त्व दिया जाता है तो वहाँ कर्मकारक के चिह्न ‘को’ का प्रयोग किया जाता है; अन्यथा उसका प्रयोग नहीं किया जाता | जैसे – 

अशुद्ध रूप - वह लड़का पीटता है | 
शुद्ध रूप - वह लड़के को पीटता है | 

अशुद्ध रूप - मैं शीतल जल को पी रहा हूँ | 
शुद्ध रूप - मैं शीतल जल पी रहा हूँ |


करणकारक संबंधी अशुद्धि


अशुद्ध रूप - वह बस पर यात्रा कर रहा है | 
शुद्ध रूप - वह बस से यात्रा कर रहा है |

सम्प्रदानकारक संबंधी अशुद्धि सम्प्रदान कारक के दो चिह्न हैं ‘के लिए’ और ‘को’ | यदि एक के स्थान पर दूसरे का प्रयोग हो जाता है तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है; जैसे -


अशुद्ध रूप - पंडितजी ने भक्तों के लिए कथा सुनाई | 
शुद्ध रूप - पंडितजी ने भक्तों को कथा सुनाई | 

अशुद्ध रूप - शिष्य यज्ञ को लकड़ी लाया | 
शुद्ध रूप - शिष्य यज्ञ के लिए लकड़ी लाया |

अपादानकारक संबंधी अशुद्धि


अशुद्ध रूप - वह शहर के खिलौने लाकर बेचता है | 
शुद्ध रूप - वह शहर से खिलौने लाकर बेचता है |

अशुद्ध रूप - लड़की झूले पर से गिर गई | 
शुद्ध रूप - लड़की झूले से गिर गई |

संबंधकारक संबंधी अशुद्धि


अशुद्ध रूप - बिना पैसे का किसी भी आदमी को सम्मान नहीं मिलता |
शुद्ध रूप - बिना पैसे के किसी भी आदमी को सम्मान नहीं मिलता | 

अशुद्ध रूप - राधा का और कृष्ण का मंदिर प्रसिद्ध है | 
शुद्ध रूप - राधाकृष्ण का मंदिर प्रसिद्ध है |

नोट – सामासिक पद में चिह्न लुप्त हो जाते हैं |


अधिकरणकारक संबंधी अशुद्धि

अशुद्ध रूप - आज बजट के ऊपर बहस होगी | 
शुद्ध रूप - आज बजट पर बहस होगी | 

अशुद्ध रूप - किसान ने खेत पर बीज बोया है | 
शुद्ध रूप - किसान ने खेत में बीज बोया है | 

अशुद्ध रूप - घर पर सब कुशल हैं | 
शुद्ध रूप - घर में सब कुशल हैं |


--Dr. Kusum Sharma


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