भक्तिकाल – हिंदी साहित्य का स्वर्णयुग
पूर्वमध्यकाल : | भक्तिकाल काल – | संवत् 1375 – 1700 |
निर्गुण काव्य : ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख कवि
१. रामानंद – संत मत के प्रचार एवं प्रसार का श्रेय इन्हीं को है |
रचनाएँ हैं –
1 वैष्णवमताब्ज भास्कर | 2 श्री रामार्चन पद्धति |
२. कबीर –
रचना –
बीजक ( रमैनी , सबद तथा साखी तीन भागों में विभक्त है | रमैनी और सबद में गेय पद हैं और साखी दोहों में है | ) |
३. गुरुनानक – ( सिक्खों के धर्म गुरु) -
प्रमुख पुस्तकें -1 जपुजी | 2 आसादीवार |
3 रहिरास | 4 सोहिला |
४. रैदास –
रैदास का कोई ग्रन्थ नहीं मिलता , फुटकल पद ही ‘बानी’ के नाम से ‘संतबानी’ में संगृहित हैं | |
५. दादूदयाल –
इनके द्वारा चलाया गया पन्थ दादूपंथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ | दादू की रचनाओं का संग्रह उनके दो शिष्यों संतदास और जगनदास ने ‘हरडेवानी’ नाम से किया था | कालान्तर में रज्जब ने इसका सम्पादन ‘अंगवधू’ नाम से किया | |
६. सुंदरदास –
1 दादू के शिष्य | 2 निर्गुण संत कवियों में सर्वाधिक शास्त्रज्ञ और सुशिक्षित |
3 सर्वाधिक प्रसिद्ध ग्रंथ – सुंदरविलास |
निर्गुण काव्य : प्रेमाश्रयी शाखा या सूफ़ी काव्य धारा के प्रमुख कवि
१. कुतुबन -
रचना –मृगावती ( इसमें चन्द्र नगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूपमुरारि की कन्या मृगावती की प्रेम कथा का वर्णन है | ) |
२. मलिक मुहम्मद जायसी -
रचनाएँ –
1 अखरावट |
2 आखिरी कलाम |
3 पद्मावत ( सर्वाधिक प्रसिद्ध ग्रंथ | जो चित्तौड़ के शासक रतन सेन और सिंहल देश की राजकन्या पद्मिनी की प्रेम कहानी पर आधारित है | ) |
३. मंझन -
रचना –मधुमालती ( इसमें मनोहर और मधुमालती की प्रेम-कथा के समानांतर प्रेमा और ताराचंद की भी प्रेम – कथा चलती है | ) |
४. उस्मान -
रचना –
चित्रावली ( सुजान व चित्रावली के चित्रदर्शन जन्य प्रेम का निरूपण हुआ है | ) |
५ शेखनवी -
रचना –ज्ञानद्वीप ( राजा ज्ञानदीप और रानी देवजानी की कथा है ) |
६. कासिम शाह -
रचना –हंस जवाहिर ( राजा हंस और रानी जवाहिर की कथा है ) |
७. नूर मुहम्मद -
रचना –
1 इन्द्रावती (आख्यान काव्य है ,जिसमें कालिंजर के राजकुमार राजकुँवर और आगमपुर की राजकुमारी इन्द्रावती की प्रेम कहानी है ) |
2 अनुराग बाँसुरी ( यह तत्वज्ञान संबंधी रचना है | शरीर , जीवात्मा और मनोवृत्तियों को लेकर पूरा अध्यवसितरूपक खड़ा करके बाँधी है ) |
सगुण काव्य : राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि
१. तुलसीदास -
रचनाएँ –
१ दोहावली | २ कवितावली |
३ गीतावली | ४ रामचरितमानस |
५ रामाज्ञाप्रश्न | ६ विनयपत्रिका |
७ रामललानहछू | ८ पार्वतीमंगल |
९ जानकीमंगल | १० बरवै रामायण |
११ वैराग्य संदीपिनी | १२ श्री कृष्ण गीतावली ( रामचरितमानस की पूरी कथा शंकर ने पार्वती को सुनाई थी ) |
२. नाभादास -
रचना –भक्तमाल ( हिंदी साहित्य में अभूतपूर्व ऐतिहासिक महत्त्व है ) |
३. प्राणचंद चौहान -
रचना –रामायण महानाटक ( संवाद ) |
४. हृदय राम -
रचना –भाषा हनुमन्नाटक |
सगुण काव्य : कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि
१. श्री वल्लभाचार्य -
रचनाएँ –
१ पूर्वमीमांसा भाष्य | २ उत्तरमीमांसा या ब्रह्मसूत्र भाष्य ( दार्शनिक ग्रंथ ) |
३ सुबोधिनी टीका | ४ तत्त्वदीपनिबंध |
२. सूरदास -
रचनाएँ -;
१ सूरसागर |
२ सूरसारावली |
३ साहित्य लहरी ( सूरदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि हैं | वे श्रृंगार तथा वात्सल्य के कवि हैं ) |
३. नंददास -
रचनाएँ –
१ रासपंचाध्यायी ( नन्ददास के यश का आधार ) | २ सिद्धांत पंचाध्यायी |
३ भागवत् दशम स्कन्ध | ४ रुक्मिणीमंगल |
५ रूपमंजरी | ६ रसमंजरी |
४. कृष्णदास -
रचना -
जुगमान चरित |
५. मीराबाई -
रचनाएँ -
१ गीत गोविन्द टीका |
२ राग गोविन्द |
३ राग सोरठ के पद |
६. रसखान -
रचना -
१ प्रेमवाटिका |
७. रहीम -
रचनाएँ -
१ रहीम दोहावली | २ बरवै नायिका भेद |
३ श्रृंगार सोरठा | ४ खेल कौतुकम ( ज्योतिष ग्रंथ ) |
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