Wednesday 17 January 2018

संबंधबोधक ​| संबंधबोधक व क्रियाविशेषण में अंतर ​| अव्यय ​- 2


अव्यय ​-

‘अ + व्यय’ ; जो व्यय न हो उसे अव्यय कहते हैं , इसे अविकारी शब्द कहते हैं, क्योंकि इसके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक के कारण किसी प्रकार का विकार नहीं हो सकता , ये सदैव समान रहते हैं | ​जैसे –​

- जब , तब , अभी , उधर , वहाँ इत्यादि शब्द अव्यय हैं |



संबंधबोधक ​-

जो अविकारी शब्द संज्ञा , सर्वनाम के बाद आकर वाक्य के दूसरे शब्द के साथ सम्बन्ध बताए उसे संबंधबोधक कहते हैं | ​ जैसे –​
निकट, दूर, आगे, पीछे, अंदर, बाहर, ओर, तरफ, पार, द्वारा, लिए, सिवाय, अलावा, संग, विरुद्ध, खिलाफ़, बिना, भर इत्यादि |​
जैसे –​
राम के आगे मैं खड़ा हूँ |​
मैं गोपाल के बिना नहीं जाऊँगा |​
मेरे आगे राम खड़ा है |​

(क) प्रयोग के आधार पर ​

1) विभक्ति सहित -


जिन अव्यय शब्दों का प्रयोग कारक विभक्तियों ( ने , को , से ) के साथ होता है ; उन्हें विभक्ति सहित संबंधबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे - 

यथा , पास , लिए आदि |​
जैसे – ​
राम के घर के पास मेरा घर है |​

2) विभक्ति रहित -


जिन अव्यय शब्दों का प्रयोग बिना कारक विभक्तियों के होता है ; उन्हें विभक्ति रहित संबंधबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे – रहित , सहित आदि |​ जैसे – ​

वह परिवार सहित विवाह में आया था | ​

3) उभयविधि - 


जिस अव्यय का प्रयोग विभक्ति सहित और विभक्ति रहित दोनों प्रकार से होता है, उसे उभयविधि संबंधबोधक अव्यय कहते हैं ; जैसे – द्वारा, बिना आदि | 

​जैसे – ​
यह पत्र मीरा के द्वारा लिखा गया है |​
यह पत्र मीरा द्वारा लिखा गया है |​


(ख) अर्थ के आधार पर​

अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय आठ प्रकार के होते हैं –​

1) कालवाचक संबंध बोधक -

जिन अव्यय शब्दों से ‘समय’ का बोध होता है ,उन्हें ‘कालवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – आगे , पीछे, बाद में, पश्चात्, उपरान्त इत्यादि |​ 
जैसे –

राम के बाद कोई अवतार नहीं हुआ |​


2) स्थानवाचक संबंध बोधक -


जिन अव्यय शब्दों से ‘स्थान’ का बोध होता है ,उन्हें ‘स्थानवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – आगे , पीछे , सामने , निकट, भीतर इत्यादि |​

जैसे – ​

मेरे घर के सामने बगीचा है |​ 

3) दिशावाचक संबंध बोधक -


जिन अव्यय शब्दों से किसी ‘दिशा’ का बोध होता है ,उन्हें ‘दिशावाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे - ओर , तरफ , प्रति इत्यादि |​

जैसे –

परिवार की तरफ देखो कि कितने भले हैं |​

4) साधनवाचक संबंध बोधक-


जिन अव्यय शब्दों से किसी ‘साधन’ का बोध होता है ,उन्हें ‘साधनवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – माध्यम, जरिए, द्वारा, सहारे , मार्फत आदि |​ 
जैसे –
वह मित्र के सहारे ही पास हो सकता है |​

5) कारणवाचक संबंध बोधक -


जिन अव्यय शब्दों से किसी ‘कारण’ का बोध होता है ,उन्हें ‘कारणवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – कारण, हेतु, वास्ते ,निमित्त, खातिर इत्यादि |​ 
जैसे –

रावण अपनी दुष्टता के कारण मारा गया |​

6) सादृश्यवाचक संबंध बोधक -


जिन अव्यय शब्दों से ‘समानता’ का बोध होता है ,उन्हें ‘सादृश्यवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – समान , तरह , जैसा, वैसा ही आदि |​
जैसे –

मानसी के समान मीरा भी सुंदर है |​

7) विरोधवाचक संबंध बोधक -


जिन अव्यय शब्दों से प्रतिकूलता या विरोध का बोध होता है, उन्हें ‘विरोधवाचक संबंध बोधक’ अव्यय कहते हैं ; जैसे – विरुद्ध, प्रतिकूल , विपरीत , उल्टा आदि |​ ​ 
जैसे –

आतंकवादी कानून के विरुद्ध लड़ते हैं |​

8) सीमावाचक संबंधबोधक अव्यय -


जिन अव्यय शब्दों से किसी सीमा का पता चलता है ,उन्हें सीमावाचक संबंधबोधक अव्यय कहते हैं ; जैसे – तक , पर्यन्त , भर , मात्र आदि |​ 
जैसे – ​

समुद्र पर्यन्त यह पृथ्वी तुम्हारी है |​

(ग) व्युत्पत्ति या रूप के आधार पर​ -

रूप के आधार पर अव्यय दो प्रकार के होते हैं –​

1) मूल संबंधबोधक अव्यय -


जो अव्यय किसी दूसरे शब्द के योग से नहीं बनते अपितु अपने मूलरूप में ही रहते हैं ; उन्हें मूल संबंधबोधक अव्यय कहते हैं | जैसे – बिना , समेत , तक आदि |​

2) यौगिक संबंधबोधक अव्यय -


जो अव्यय संज्ञा, विशेषण, क्रिया आदि के योग से बनते हैं, उन्हें यौगिक संबंधबोधक अव्यय कहते हैं ; जैसे – पर्यन्त ( परि + अंत ) ​


संबंधबोधक व क्रियाविशेषण में अंतर ​-


हिंदी में कुछ शब्द ऐसे हैं जिनका प्रयोग क्रियाविशेषण तथा संबंधबोधक दोनों रूपों में किया जाता है ;​ जैसे – ​

सामने , आगे , पीछे , बाहर , भीतर , ऊपर आदि |​

परन्तु ध्यान रखिए कि जब ये शब्द किसी क्रिया की विशेषता बताते हैं, तो क्रियाविशेषण कहलाते हैं एवं जब वे दो संज्ञा या सर्वनाम के बीच संबंध का बोध कराते हैं , तो संबंधबोधक कहलाते हैं | ​




क्रियाविशेषण के रूप में संबंधबोधक के रूप में
आगे वह आगे चल रहा है | वह सुरेश से आगे चल रहा है |
नीचे राकेश नीचे बैठा है | राकेश चारपाई के नीचे छिप गया |
पीछे वह पीछे आया | प्रिया दीवार के पीछे खड़ी है |
ऊपर श्याम ऊपर सो रहा है | श्याम छत के ऊपर सो रहा है |

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