महान + ता = महानता |
‘प्रत्यय’ दो शब्दों से बना है - प्रति + अय | ‘प्रति’ का अर्थ है साथ में , और ‘अय’ का अर्थ ‘चलनेवाला’ | प्रत्यय उपसर्गों की तरह अविकारी शब्दांश हैं ,जो शब्दों के बाद जोड़े जाते हैं ; जैसे –
अच्छा + ई = अच्छाई |
प्रत्यय के भेद -
1. कृत प्रत्यय – जो प्रत्यय क्रिया के मूल धातु रूप के साथ लगकर संज्ञा और विशेषणों का निर्माण करते हैं , वे कृत कहलाते हैं ; जैसे –
पढ़ + आई = पढाई |इन्हें कृदन्त भी कहते हैं |
कृत प्रत्यय के उदाहरण
शब्द | धातुरूप प्रत्यय; |
सजावट | सज + आवट |
पठनीय | पठ + अनीय |
गवैया | गा + वैया |
भुलक्कड़ | भूल + अक्कड़ |
चलाऊ | चल + आऊ |
झगड़ालू | झगड़ा + आलू |
खिलौना | खेल + औना |
हिंदी के कृत प्रत्यय
मूल क्रिया के साथ कृत प्रत्यय को जोड़कर शब्दों की रचना की जाती है ; जैसे –शब्द | मूल क्रिया प्रत्यय |
भूला | भूल + आ |
चिन्तन | चिंत् + अन |
रटंत | रट + अंत |
घूमक्कड़ | घूम + अक्कड़ |
लिखाई | लिख + आई |
पढ़ाकू | पढ़ + आकू |
टिकाऊ | टिक + आऊ |
मिलान | मिल् + आन |
कटाव | कट + आव |
दयालु | दया + आलु |
थकावट | थक + आवट |
चिल्लाहट | चिल्ला + आहट |
डरावना | डर + आवना |
घटिया | घट + इया |
लुटेरा | लूट + एरा |
खिलौना | खेल + औना |
इनके अतिरिक्त वाला ,ई ,ऊ, औती,कर ,ता ,ती ,ना ,नी ,या ,वाई इत्यादि भी हिंदी के प्रत्यय हैं |
संस्कृत के कृत प्रत्यय
शब्द | मूल धातु प्रत्यय |
दृष्टि | दृश् + क्तिन् (ति ) |
गंतव्य | गम् + तव्य |
दत्त | दा + क्त |
कथनीय | कथ् + अनीय |
लभ्य | लभ् + यत् (य ) |
दातृ | दा + तृच् (तृ ) |
2. तद्धित प्रत्यय – जो प्रत्यय क्रिया शब्दों को छोड़कर संज्ञा ,सर्वनाम , विशेषण आदि के साथ लगकर नए शब्द बनाते हैं , वे तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे –
बंगाल + ई = बंगाली
यहाँ ‘ई’ तद्धित प्रत्यय है क्योंकि यह बंगाल नामक संज्ञा के साथ मिलकर नया शब्द बना रहा है | कुछ अन्य उदाहरण इस प्रकार हैं –
शब्द | मूल शब्द प्रत्यय |
बुराई | बुरा + आई |
प्यासा | प्यास + आ |
स्वत: | स्व + त: |
अमरत्व | अमर + त्व |
हिंदी के तद्धित प्रत्यय
हिंदी के तद्भव शब्दों के साथ प्रत्यय लगाकर संज्ञा और विशेषण शब्द बनाए जाते हैं तो वे हिंदी के तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे –
शब्द | मूल शब्द प्रत्यय |
कड़वाहट | कड़वा + आहट |
घराना | घर + आना |
मिठास | मीठा + आस |
चमकीला | चमक + ईला |
सामाजिक | समाज + इक, धार्मिक, नैतिक, वैदिक, दैनिक इत्यादि |
सपेरा | साँप + एरा |
गुस्सैल | गुस्सा + ऐल |
लुहारिन | लुहार + इन |
संस्कृत के तद्धित प्रत्यय
हिंदी के तत्सम शब्दों के साथ प्रत्यय लगाकर संज्ञा और विशेषण शब्द बनाए जाते हैं तो वे संस्कृत के तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे –
शब्द
|
मूल शब्द प्रत्यय
|
शैव
|
शिव + अ
|
शिक्षक
|
शिक्षा + अक
|
पुष्पित
|
पुष्प + इत
|
रक्तिमा
|
रक्त + इमा
|
पंकिल
|
पंक + इल
|
कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में अंतर
कृत प्रत्यय | तद्धित प्रत्यय |
मूल धातु या क्रिया के साथ प्रत्यय जुड़कर संज्ञा या विशेषण शब्द बनाते हैं ; जैसे –
पढ़ + आकू = पढ़ाकू
|
संज्ञा , सर्वनाम व विशेषण के साथ प्रत्यय जुड़कर नए शब्द बनाते हैं ; जैसे –
आनंद + इत = आनंदित
|
हिंदी
के कृत प्रत्यय
|
संस्कृत
के कृत प्रत्यय
|
मूल क्रिया के साथ प्रत्यय जुडकर संज्ञा या विशेषण बनाते हैं ; जैसे –
पढ़ + आकू = पढ़ाकू
|
मूल धातु के साथ प्रत्यय जुडकर संज्ञा या विशेषण बनाते हैं ; जैसे –
पठ + अनीय = पठनीय
|
हिंदी के तद्धित प्रत्यय और संस्कृत के तद्धित प्रत्यय में अंतर
हिंदी
के तद्धित प्रत्यय
|
संस्कृत
के तद्धित प्रत्यय
|
हिंदी के तद्भव शब्दों के साथ प्रत्यय लगाकर संज्ञा और विशेषण शब्द बनाए जाते हैं; जैसे –
कड़वा + आहट = कड़वाहट
|
हिंदी के तत्सम शब्दों के साथ प्रत्यय लगाकर संज्ञा और विशेषण शब्द बनाए जाते हैं ; जैसे –
पुष्प + इत = पुष्पित
|
प्रत्यय की पहचान संबंधी नियम
1. यदि किसी शब्द के अंत में ‘य’ लिखा हुआ हो तथा ‘य’ से ठीक पहले कोई आधा वर्ण (हलंत) हो , वहाँ ‘य’ प्रत्यय मानना चाहिए | जैसे –
माधुर्य = मधुर + य आदित्य = अदिति + य
नैराश्य = निराशा + य दैन्य = दीन + य
काव्य = कवि + य स्वास्थ्य = स्वस्थ + य
पार्थक्य = पृथक + य लावण्य = लवण + य
नोट – यदि इस प्रकार के शब्दों के अंत में तव्य / टव्य की ध्वनि निकल रही हो तो वहाँ ‘तव्य’ प्रत्यय माना जाता है ; जैसे – द्रष्टव्य , कर्तव्य , गंतव्य इत्यादि |
2. यदि शब्द के अंत में ‘य’ लिखा हो लेकिन ‘य’ से ठीक पहले आधा वर्ण (हलंत) नहीं हो तो वहाँ ‘य’ से ठीक पूर्व वाले स्वर के अनुसार प्रत्यय मानना चाहिए | जैसे
–
भारतीय = भारत + ईय
आग्नेय = अग्नि + एय
3. यदि कोई शब्द किसी से उत्पन्न होने का भाव प्रकट करता है या संतानसूचक / वंशसूचक होता है तो वहाँ ‘अ’ प्रत्यय मानना चाहिए | ऐसे शब्दों के अंत में ‘व’ लिखा रहता है | जैसे –
मानव = मनु + अ
कौरव = कुरु + अ
वैष्णव = विष्णु + अ
लाघव = लघु + अ
प्रत्यय जुड़ने से प्रारम्भिक स्वर में होने वाले परिवर्तन के नियम -
1 यदि किसी शब्द में अ ,इ ,य ,इक ,एय ,अयन , आयन आदि प्रत्यय जोड़कर संधि कार्य हो तो शब्द के प्रथम स्वर में निम्नानुसार परिवर्तन होता है –
क ) प्रथम स्वर ‘अ’ होने पर ‘आ’ में बदल जाता है | जैसे –मनु + अ = मानव
गंगा + एय = गांगेय
समाज + इक = सामाजिक
वत्स्य + आयन = वात्स्यायन
ख ) प्रथम स्वर /ई / ए होने पर ‘ऐ’ में बदल जाता है | जैसे –इतिहास + इक = ऐतिहासिक
एक + य = ऐक्य
नीति + इक = नैतिक
वेद + इक = वैदिक
ग ) प्रथम स्वर उ / ऊ / ओ होने पर ‘औ’ में बदल जाता है | जैसे –
उद्योग + इक = औद्योगिक
सुंदर + इक = सौन्दर्य
भूत + इक = भौतिक
योग + इक = यौगिक
घ ) प्रथम स्वर ‘ऋ’ होने पर ‘आर्’ में बदल जाता है | जैसे –
पृथक + इक = पार्थक्य
YouTube -
Good
ReplyDeleteजी बहुत ही अच्छी पाठ्यसामग्री
ReplyDelete