भाषा
की ये मूल ध्वनियाँ ही वर्ण कहलाती हैं|
वर्ण -
भाषा
की वह छोटी से छोटी इकाई (unit)
या
ध्वनि जिसके आगे खंड नहीं किये जा सकते वर्ण कहलाती है |
जैसे -
क्
, च् , ट् , त् , प् , अ ...
वर्णों
का समूह वर्णमाला
कहलाता है | इन वर्णों को मुख्यतः दो खण्डों में विभाजित किया गया है |
स्वर -
जिन वर्णों का उच्चारण करते समय
श्वास वायु बिना किसी से टकराए अर्थात बिना किसी रूकावट के सीधी बाहर निकल जाती है
वे वर्ण स्वर
कहलाते हैं|
जिन वर्णों के उच्चारण के समय किसी
अन्य ध्वनि के सहारे की आवश्यकता नहीं होती | जैसे –
अ ,
आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ (11 स्वर )
महत्त्वपूर्ण तथ्य -
यह बात ध्यान देने योग्य है कि 'ऋ' का उच्चारण 'रि' होता है और 'रि' में 'र'
व्यंजन ध्वनि है अत: 'ऋ' को पूर्णरूप से स्वर नहीं माना जा सकता| इसलिए आजकल इसे स्वर और व्यंजन से अतिरिक्त
वर्ण माना जाने लगा है| अत: अब स्वरों की संख्या 10 ही मानी जाती है|
अ ,
आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए
, ऐ , ओ , औ (10 स्वर )