व्यंजन (Alphabets)
जैसाकि हम स्वरों के विषय में जानते
हैं कि स्वर (अ, आ, इ, ई ...)
अपने आप में पूर्ण होते हैं | उन्हें अपनी पूर्णता के लिए किसी अन्य वर्ण (क,
ख, ग,...)
की आवश्यकता नहीं होती | वे स्वतंत्र रूप से भी लिखे जातें हैं तथा वर्णों की
मात्राओं के रूप में भी इनका प्रयोग होता है |
जैसे
-
आओ या आइये
ऊपर
लिखे गए शब्दों में स्वर स्वतंत्र रूप से लिखे गए हैं जबकि –
काला = क् + आ =
(का) , ल् + आ=(ला),
लीची = ल् + ई
(ली), च् + ई (ची),
गुरु = ग् + उ (गु), र् + उ
(रु)
जैसे
शब्दों स्वरों को वर्णों के साथ मात्रा के रूप में जोड़कर लिखा गया है |
अब
हम वर्णों के दूसरे भेद व्यंजन
के विषय में बात करते हैं |
व्यंजन (क, ख, ग,..इत्यादि ) अपने आप में
पूर्ण नहीं होते | उन्हें पूरा लिखने के लिए स्वरों की आवश्यकता होती है | स्वरों
से मिलकर ही व्यंजन पूरे होते हैं अन्यथा वे आधे अथवा अधुरे रहते हैं |
जैसे
–
क् + अ = क
ख् +
अ = ख
यहाँ
पर हम देख रहें है कि क् और ख् को पूरा
लिखने के लिए ‘अ’
को जोड़ा गया है |
क् और ख् को हम इस प्रकार भी लिख सकते हैं –
क् या = क्या एवं ख् याल = ख्याल
अब
प्रश्न यह है कि जब व्यंजनों को आधा लिखा जाता है तब उन्हें ‘क्क्’
और ‘ख्ख ’
की तरह ही लिखा जाता है तो ऊपर हमने इन्हें ‘क्’ और ‘ख्’
इस तरह क्यों लिखा है?
इस
प्रश्न का उत्तर है- व्यंजनों के साथ हलंत ( \ )
का प्रयोग उन्हें आधा लिखने के लिए किया जाता है
अगले
Blog में हम व्यंजन के भेदों की चर्चा करेंगें |
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