Monday 27 November 2017

संज्ञा और उसके भेद

प्रयोग के आधार पर शब्द भेद 


१. विकारी शब्द


संज्ञा – किसी व्यक्ति, वस्तु , प्राणी , भाव व स्थान के नाम को संज्ञा कहते हैं ; जैसे – 


व्यक्ति – राम , मोहन ,गणेश , महेश आदि 

वस्तु – पानी , फल , पुस्तक , कलम आदि 

प्राणी – मनुष्य , पशु , पक्षी , स्त्री आदि 

भाव – अच्छाई , बुराई ,प्रेम , झूठ आदि 

स्थान – गाँव , शहर , दिल्ली , आगरा आदि 

संज्ञा के भेद




1. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जो शब्द किसी विशेष एवं निश्चित व्यक्ति , स्थान या वस्तु का बोध कराते हैं , उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं |जैसे – 


१. स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी | (विशेष व्यक्ति) 
२. हिंदी साहित्य में छायावाद का प्रमुख महाकाव्य कामायनी है | (विशेष वस्तु ) 
३. ताजमहल आगरा में स्थित है | (निश्चित स्थान ) 

2. जातिवाचक संज्ञा – जो संज्ञा शब्द किसी प्राणी पदार्थ , या समूह की जाति का बोध कराते हैं , वे शब्द जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं | जैसे -


लड़का दिल्ली जा रहा था | 

मेरा विद्यालय घर के पास ही है | 

हमें रोजाना फल खाने चाहिए |

आम , शेर इत्यादि भी जातिवाचक शब्द ही हैं |

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग

कभी – कभी किसी विशेष व्यक्ति के गुणों के कारण व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक के रूप में होता है | किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम के गुणों का प्रयोग दूसरे व्यक्तियों के लिए किया जाता है तो यहाँ संज्ञा व्यक्तिवाचक न होकर जातिवाचक बन जाती है | जैसे - 

१ आज के समय में ‘विभीषणों’ की कमी नहीं है |
२ भाई ! उस लाचार ‘सूरदास’ को सड़क पार करवा दो |

यहाँ ‘विभीषणों’ विश्वासघातियों के लिए तथा ‘सूरदास’ अंधे व्यक्तियों के लिए प्रयुक्त हुआ है | 

आज भी देश में रावणों की कमी नहीं है |

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग

कुछ जातिवाचक संज्ञाएँ व्यक्तियों या वस्तुओं के लिए रूढ़ हो जाती हैं ; जैसे - 


नेताजी ने आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की |

यहाँ ‘नेता जी’ जातिवाचक संज्ञा है लेकिन सुभाषचंद्र बोस के लिए प्रयुक्त होने के कारण रूढ़ होकर व्यक्तिवाचक संज्ञा बन गया है | 

पंडित जी देश के पहले प्रधानमंत्री थे |

द्रव्यवाचक संज्ञा – वे संज्ञा शब्द जो ऐसे पदार्थों या द्रव्यों का बोध करवाते हैं जिनसे वस्तुएँ बनती हैं एवं उनका माप तोल किया जा सकता है , उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं | जैसे –


सोना , चाँदी , पीतल , मिट्टी , लकड़ी , दूध आदि 

समूहवाचक संज्ञा – वे संज्ञा शब्द जो किसी समूह या समूदाय का बोध करवाते हैं , उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं | जैसे - 


परिवार , कक्षा , सेना , दल , जनता, भीड़ आदि 

नोट – १ समूहवाचक संज्ञाओं के निम्न प्रयोग सुनिश्चित होते हैं , इन्हें बदला नहीं जा सकता |

पर्वतों की श्रृंखला नक्षत्रों का मंडल
तारों का पुंज  कागज का दस्ता
सैनिकों , स्वयं सेवको का जत्था चोरों का गिरोह
गायकों की मंडली कर्मचारियों या मजदूरों का संघ
भेड़ो का झुंड प्रतिनिधियों का शिष्ट मंडल

3. भाववाचक संज्ञा – जिन संज्ञा शब्दों से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण ,शील, दशा , अवस्था , दोष , धर्म आदि का बोध होता है , उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं | जैसे – 


बुढ़ापा , अच्छाई , सफलता , धैर्य , शांति और प्रेम इत्यादि |

भाववाचक संज्ञा शब्दों का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग


१. भाववाचक संज्ञाएँ एकवचन में प्रयुक्त होती है लेकिन जब उनका प्रयोग बहुवचन में किया जाता है तो वे जातिवाचक बन जाती है ; जैसे –

बुराई (भाववाचक) – बुराइयाँ (जातिवाचक)

दूरी (भाववाचक ) – दूरियाँ ( जातिवाचक ) आदि |

नोट – कुछ भाववाचक संज्ञाओं का बहुवचन नहीं होता | जैसे – 

चंचलता , सुन्दरता , शत्रुता , मित्रता आदि शब्दों का चंचलताओं , सुन्दरताओं शत्रुताओं आदि बहुवचन शब्दों का प्रयोग असंगत है |

२. भाववाचक संज्ञा से उन गुणों का बोध होता है , जिनका अनुभव हमारा मन या ह्रदय कर सकता है ,किन्तु हम उन्हें न तो स्पर्श कर सकते हैं , न देख सकते हैं | जैसे – 

क्रोध , मिठास , द्वेष , शत्रुता आदि |

भाववाचक संज्ञाएँ चार प्रकार के शब्दों से बनाई जा सकती हैं –

1. जातिवाचक संज्ञा से -


मनुष्य - मनुष्यता मित्र - मित्रता
देव - देवत्व  नेता - नेतृत्व
मजदूर - मजदूरी चोर - चोरी
शिशु - शैशव  पंडित - पाडित्य


2. सर्वनाम से -

स्व - स्वत्व अपना - अपनापन
निज - निजता  मम - ममत्व

3. विशेषण से -

चौड़ा - चौड़ाई गहरा - गहराई
वीर - वीरता  लघु - लघुता
चालाक - चालाकी  खट्टा - खटास
विद्वान - विद्वत्ता आलसी - आलस्य

4. क्रिया से –

लिखना - लिखाई  सींचना - सिंचाई
दिखाना - दिखावट थकना - थकावट
बहना - बहाव चलना - चाल

5. अव्ययों से भी भाववाचक संज्ञा बनती है ; जैसे -


दूर - दूरीनिकट - निकटता
धिक् - धिक्कार


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