विशेष्य - विशेषण जिसकी विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं |
प्रविशेषण - विशेषणों की विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं |
जैसे - राम बहुत तेज दौड़ता है |
विशेषण के भेद -
1. गुणवाचक विशेषण – जिन शब्दों द्वारा संज्ञा के गुण अथवा दोष का बोध होता है , उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं | गुणवाचक विशेषण के प्रमुख रूप इस प्रकार हैं –
भाव – अच्छा , बुरा , कायर ,बलवान , दयालु इत्यादि
काल – अगला , पीछला , नया , पुराना आदि
स्थान – शहरी , पहाड़ी , पंजाबी , ग्रामीण आदि
आकार – लंबा , ऊँचा ,नीचा , सुंदर , चौड़ा आदि
समय – मासिक , दैनिक, साप्ताहिक , त्रैमासिक आदि
दशा – दुबला , कमजोर , स्वस्थ , रोगी , निरोग आदि
रंग – लाल , पीला , नीला , काला , सफेद आदि
2. संख्यावाचक विशेषण – जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध होता है , उन्हें संख्यावाचक विशेषण हैं ; जैसे –
एक मेज , चार कुर्सियाँ , दस पुस्तकें , कुछ रूपये आदि |
संख्यावाचक विशेषण तीन प्रकार के होते हैं ;
१. निश्चित्त संख्यावाचक – जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध होता है , उन्हें ‘निश्चित संख्यावाचक’ विशेषण कहते हैं ; जैसे –
एक , दो , तीन , दूसरा आदि प्रयोग के अनुसार निश्चित संख्यावाचक विशेषण के निम्नांकित प्रकार हैं –गणनावाचक विशेषण – एक , दो , तीन
क्रमवाचक विशेषण – पहला , दूसरा , तीसरा
आवृत्तिवाचक विशेषण – दूना , तिगुना , चौगना
समुदायवाचक विशेषण – दोनों , चारों , पाँचों
प्रत्येकबोधक विशेषण - प्रत्येक , हर – एक , दो – दो
२. अनिश्चित्त संख्यावाचक – जिन विशेषण शब्दों से अनिश्चित संख्या का बोध होता है , उन्हें ‘अनिश्चित संख्यावाचक’ विशेषण कहते हैं ; जैसे -
थोड़े आदमीकुछ रुपए आदि3. परिमाणवाचक विशेषण – जिन विशेषण शब्दों द्वारा संज्ञा की मात्रा ( नाप – तौल ) का बोध होता है , उन्हें ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं ; जैसे –
सेर भर दूध , तोला भर सोना , थोड़ा पानी आदि परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं –१. निश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा की निश्चित मात्रा का बोध होता है , उन्हें ‘निश्चित परिमाणवाचक’ विशेषण कहते हैं ; जैसे –
एक लीटर दूध दस मीटर कपड़ाएक किलो आलू२. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण - जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा की अनिश्चित मात्रा का बोध होता है , उन्हें ‘अनिश्चित परिमाणवाचक’ विशेषण कहते हैं ; जैसे –
थोड़ा दूध कुछ शहद बहुत पानी अधिक पैसा
4. सार्वनामिक विशेषण – जो सर्वनाम शब्द संज्ञा के लिए विशेषण का काम करते हैं , उन्हें ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहते हैं ; जैसे –
यह , वह , जो , कौन , क्या , कोई, ऐसी, ऐसा , वैसा आदि
वह लड़का कामचोर है |
इस परीक्षार्थी ने नकल की है |
विशेषण की अवस्थाएँ
1. मूलावस्था – इसमें तुलना नहीं होती , सामान्य रूप से विशेषता बताई जाती है ; जैसे –
अच्छा , बुरा , बहादुर , कायर आदि
2. उत्तरावस्था – इसमें दो की तुलना करके एक की अधिकता या न्यूनता दिखाई जाती है ; जैसे –
राम मोहन से अधिक बुद्धिमान है |इस वाक्य में राम की बुद्धिमत्ता मोहन से अधिक बताई गई है | अत: यहाँ तुलनात्मक विशेषण की उत्तरावस्था है |
3. उत्तमावस्था – इसमें दो से अधिक वस्तुओं , भावों की तुलना करके एक से अधिक या न्यून बताया जाता है ; जैसे –
सीता कक्षा में सबसे अधिक चतुर है |
मूलावस्था (Positive Degree ) | उत्तरावस्था ( Comparative Degree ) | उत्तमावस्था ( Superlative Degree ) |
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कोमल | कोमलतर | कोमलतम |
गुरु | गुरुतर | गुरुतम |
बृहत | बृहतर | बृहतम |
सुंदर | सुन्दरतर | सुन्दरतम |
१. हिंदी में विशेषण शब्दों के आगे विभक्ति चिह्न नहीं लगते ; जैसे –
अच्छे घर का , वीर मनुष्य
२. पुल्लिंग आकारांत विशेषण का ‘आ’ कर्ता कारक एकवचन को छोड़कर अन्य सब कारकों में ‘ए’ हो जाता है ; जैसे –
अच्छे लड़के , बुरे लड़के आदि |
३. विशेषणों की विशेषता बताने वाला शब्द भी विशेषण होता है ; जैसे –
बहुत सुंदर घर
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विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्दो को प्रविशेषण कहते हैं। न कि विशेषण
ReplyDeleteप्रविशेषण कहते हैं
ReplyDeleteजी बहुत ही अच्छी पाठ्यसामग्री
ReplyDeleteबहुत अच्छा बताया विशेषण के बारे में
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