Thursday 21 December 2017

हिंदी व्याकरण - क्रिया | सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान | रचना के आधार पर क्रिया के भेद


जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाए , उसे ‘क्रिया’ कहते हैं | जैसे
पढ़ना , खाना , पीना , जाना आदि
क्रिया विकारी शब्द है , जिसके रूप लिंग , वचन और पुरुष के अनुसार बदलते हैं |



धातु - क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं | तात्पर्य यह है कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती है , उन्हें ‘धातु’ कहते हैं ; जैसे – 

पढ़ ( मूल धातु ) + ना (प्रत्यय )

चल ( मूल धातु ) + ना (प्रत्यय )

देख ( मूल धातु ) + ना (प्रत्यय )

सामान्य रूपों में ‘ना’ हटाकर धातु का रूप ज्ञात किया जा सकता है | धातु की यह एक महत्त्वपूर्ण पहचान है |

नोट – हिंदी में क्रियाएँ धातुओं के अलावा संज्ञा और विशेषण से भी बनती हैं जैसे –
काम + आना = कमाना
दुहरा + आना = दुहराना

धातु के भेद

1. मूल धातु , 2.यौगिक धातु


1. मूल धातु – मूल धातु स्वतंत्र होती है | यह किसी प्रत्यय या दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती ; जैसे –

खा , पी , देख आदि |
इधर आ | आम खा |
किताब पढ़ | कहीं मत जा |

यहाँ आ , खा , पढ़ तथा जा धातुओं का स्वतंत्र प्रयोग हुआ है | ये किसी प्रत्यय या दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं है |

2. यौगिक धातु – सामान्य भाषा में इसे क्रिया कहते हैं | यह स्वतंत्र नहीं है | मूल धातु में मूल धातु या प्रत्यय को जोड़ने से यौगिक धातु बनती है |

यौगिक धातु तीन प्रकार से बनती है -

1. मूल धातु + मूल धातु = यौगिक धातु
जैसे –
हँस + दे = हँस देना
बैठ + जा = बैठ जाना


2. मूल धातु + प्रत्यय = यौगिक धातु 
जैसे - 
जग + ना = जगना ( अकर्मक क्रिया )
जग + आना = जगाना ( सकर्मक क्रिया )
जग + वाना = जगवाना ( प्रेरणार्थक क्रिया )

3. संज्ञा / सर्वनाम / विशेषण + प्रत्यय = यौगिक धातु

जैसे -

हाथ ( संज्ञा ) + इयाना = हथियाना
अपना ( सर्वनाम ) + ना = अपनाना
गरम ( विशेषण ) + ना = गरमाना

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद

1) सकर्मक क्रिया (Transitive Verb) – ‘सकर्मक क्रिया’ उसे कहते हैं , जिसका कर्म हो या जिसके साथ कर्म की संभावना हो , अर्थात जिस क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से हो , पर जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु अर्थात कर्म पर पड़े | जैसे –


 सीता आम खाती है |



यहाँ ‘सीता’ कर्ता है और सीता के खाने का फल ‘आम’ पर पड़ता है | आम कर्मकारक है , अत: ‘खाना’ क्रिया सकर्मक है | कभी – कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है ; जैसे –

 राम पढ़ता है , राम गाता है |
यहाँ ‘पुस्तक’ और ‘गीत’ कर्म छिपे हैं |

2) अकर्मक क्रिया ( Intransitive Verb ) – जिन क्रियाओं का व्यापार और फल कर्ता पर हो , वे ‘अकर्मक क्रिया’ कहलाती हैं | जैसे –

राम सोता है |
‘राम’ कर्ता है , ‘सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है | अत: सोने का फल भी उसी पर पड़ता है | इसलिए , ‘सोना’ क्रिया अकर्मक है |



सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान
सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान ‘क्या’ , ‘किसे’ या ‘किसको’ आदि प्रश्न करने से होती है | यदि कुछ उत्तर मिले , तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और न मिले तो अकर्मक है |

मारना , खाना , पढ़ना आदि सकर्मक क्रियाएँ हैं |


नोट – कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती है और प्रसंग अथवा अर्थ के अनुसार इनके भेद का निर्णय किया जाता है | जैसे -

सकर्मक अकर्मक
वह अपना सिर खुजलाता है |
उसका सिर खुजलाता है |
मैं घड़ा भरता हूँ |
बूँद – बूँद से घड़ा भरता है |
विपत्तियाँ मुझे घबराती हैं |
जी घबराता है |



जिन धातुओं का प्रयोग सकर्मक और अकर्मक दोनों रूपों में होता है ,उन्हें उपविध धातु कहते हैं |

एककर्मक क्रिया जिस क्रिया में केवल एक कर्म होता है , वह एककर्मक क्रिया कहलाती है जैसे – 
राम ने लड्डू खाया |

द्विकर्मक क्रिया – जिस क्रिया में दो कर्म होते हैं , वह द्विकर्मक क्रिया होती है जैसे – 
गुरुजी शिष्यों को वेद पढ़ाते हैं |

रचना के आधार पर क्रिया के भेद

1. संयुक्त क्रिया – यह दो क्रियाओं के योग से बनती है परन्तु क्रिया का मुख्य कार्य पहली क्रिया द्वारा ही होता है, इसलिए इसे ‘मूल क्रिया’ कहते हैं | बाद वाली क्रिया ‘रंजक क्रिया’ कहलाती है; जैसे –

पक्षी उड़ रहा है | मूल क्रिया – उड़ ; रंजक क्रिया – रहा है
मैंने लिख लिया | मूल क्रिया – लिख ; रंजक क्रिया – लिया

2. यौगिक क्रिया – इसमें भी दो क्रियाएँ साथ आती हैं परन्तु दोनों ही मुख्य क्रिया का काम करती हैं | इसमें प्रथम क्रिया पूर्वकालिक होती है परन्तु प्रयोग में आने पर कर का लोप हो जाता है ; जैसे - 

मैंने पत्र लिख भेजा |
पुलिस ने चोर को मार भगाया |

3. समस्त क्रिया – दो क्रियाओं का का समास होने के कारण इसे समस्त क्रिया कहा जाता है | ये क्रियाएँ दो क्रिया धातुओं के योग से बनती है ; जैसे -

आजकल लेना – देना कौन चाहता है |

वह कहीं आ – जा नहीं सकता |

4. नामधातु क्रिया – संज्ञा , सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों में प्रत्यय जोड़ने से जो क्रियाएँ बनाई जाती हैं , उन्हें नामधातु क्रिया कहते हैं ; जैसे -

बात - बतियाना
टक्कर - टकराना 

5. प्रेरणार्थक क्रिया – जब व्यक्ति स्वयं कार्य न करके दूसरे को काम करने के लिए प्रेरित करता है तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं ; जैसे -

रमा माली से पौधों में पानी डलवाती है |


6. अनुकरणात्मक क्रिया – कुछ क्रियाएँ ध्वनियों के अनुकरण पर बनती हैं | ऐसी क्रियाओं को अनुकरणात्मक क्रियाएँ कहा जाता है ; जैसे -

हिन – हिनहिनाना
 खट – खटाना

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