Tuesday 30 January 2018

समुच्चयबोधक | अव्यय भाग – 3


जो अव्यय क्रिया या संज्ञा की विशेषता न बताकर शब्दों , वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं , उन्हें ‘समुच्चयबोधक अव्यय’ कहते हैं | 
जैसे – 
और , व , एवं , तथा , या , अथवा , किन्तु , परन्तु , कि , क्योंकि , जो कि , ताकि , हालाँकि , लेकिन , अत: , इसलिए इत्यादि


उदाहरण – 
राम और श्याम दोस्त हैं | ( दो शब्दों को )
सुमन तथा सुनीता पढ़ रही हैं | ( दो शब्दों को )
राम आया और उसने श्याम को समझाया | ( दो वाक्यों को )
बाजार बंद है इसलिए वहाँ जाना बेकार है | ( दो वाक्यों को )

समुच्चयबोधक के भेद - 

  • समुच्चयबोधक 
  • समानाधिकरण व्याधिकरण

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक - जो अव्यय दो या दो - से अधिक पदों, शब्दों या वाक्यों का संयोजन – विभाजन करते हैं ; उन्हें ‘समानाधिकरण समुच्चयबोधक’ कहते हैं |


इसके भेद इस प्रकार हैं –

१. संयोजक – इसमें तथा , एवं , और , व , या इत्यादि अव्यय आते हैं |
जैसे – 
मोहन आएगा और गीता को पढ़ाएगा |
राम आया तथा मोहन चला गया |तुम मेरे घर आओगे या मैं तुम्हारे घर आऊँ |


२. विभाजक – इसके अंतर्गत अथवा , वा ,किंवा , कि , चाहे , नहीं तो इत्यादि अव्यय आते हैं, ‘या’ संयोजक एवं विभाजक दोनों के लिए प्रयुक्त होता है |
जैसे – 
सभी जानते हैं कि पृथ्वी गोल है |
तुम चाय पीओगे अथवा कॉफी ?


३. विरोधदर्शक – इसमें वरन , मगर , किन्तु , परन्तु , लेकिन इत्यादि अव्यय आते हैं |
जैसे – 
रावण अहंकारी था परन्तु विभीषण अत्यंत विनम्र था |
( यहाँ दो कथनों का विरोध होने पर भी उन्हें जोड़ रहा है )सीता आई मगर नीता नहीं आई |

४. परिणामदर्शक – अत: , अतएव , इसलिए जैसे अव्यय परिणाम दिखाते हुए वाक्यों को जोड़ते हैं |
जैसे – 
तुमने कसूर किया है इसलिए सजा तो अवश्य मिलेगी

2. व्याधिकरण समुच्चयबोधक – जो अव्यय मुख्य वाक्य से एक या एक से अधिक आश्रित वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं, उन्हें ‘व्याधिकरण समुच्चयबोधक’ अव्यय कहते हैं |


ये चार प्रकार के होते हैं –

१. कारणवाचक – इसके अंतर्गत कि , जो कि ,क्योंकि इत्यादि शब्द आते हैं |
जैसे – 
वह ठीक नहीं हो सका क्योंकि उसने दवाई नहीं ली थी |

२. उद्देश्यवाचक – ताकि , जो , इसलिए आदि अव्यय भी मुख्य वाक्य और आश्रित वाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं |
जैसे – 
मैं तुम्हारे लिए पुस्तकें लाऊँगा ताकि तुम पढ़ सको |

३. संकेतवाचक – इसमें यद्यपि , तथापि इत्यादि अव्यय आते हैं 
जैसे – 
यद्यपि वह समय पर स्टेशन पहुँचा था तथापि गाड़ी में नहीं चढ़ सका |

४. स्वरुपवाचक – इसके अंतर्गत मानो, यानि , अर्थात् आदि अव्यय आते हैं |

समुच्चयबोधक के कार्य


1. यह दो शब्दों या सरल वाक्यों को जोड़ता है
2. यह दो शब्दों या वाक्यों में से एक का ग्रहण या त्याग अथवा दोनों का त्याग करता है |
जैसे – 
सीता या गीता आयी | ( एक का ग्रहण दूसरे का त्याग )न सीता आयी न गीता | ( दोनों का त्याग )

3. कभी – कभी दो वाक्यों या शब्दों का विरोध भी दिखलाता है |
जैसे – 
नीता छोटी है , परन्तु सुनीता लम्बी है |


4. यह बतलाता है कि अगले वाक्य के अर्थ का परिणाम पिछले वाक्य के अर्थ का परिणाम है या पिछले वाक्य का अर्थ पहले वाक्य के अर्थ का परिणाम |
जैसे – 
तुम परीक्षा में सफल हुए ,क्योंकि मैंने तुम्हें पढ़ाया था |मैंने तुम्हें पढ़ाया , इसलिए तुम परीक्षा में सफल हुए |


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