Saturday 23 June 2018

कृष्णभक्ति काव्य धारा – विशेषताएँ , प्रमुख कवि एवं रचनाएँ




जिन सगुण भक्त कवियों के द्वारा भगवान् विष्णु के अवतार के रूप में ‘कृष्ण’ की उपासना की गयी, उनके द्वारा रचित काव्य कृष्ण भक्ति काव्य कहलाता है |

प्रवर्तक – वल्लभाचार्य जी

कृष्णभक्ति काव्य की प्रमुख विशेषताएँ -

1. कृष्ण का ब्रह्म रूप में चित्रण
2. कृष्ण की बाललीलाओं व रसलीलाओं का अधिक चित्रण
3. वात्सल्य व श्रृंगार रस की प्रधानता
4. मुक्तक काव्यों का अधिक लेखन
5. ब्रजभाषा का अधिक प्रयोग
6. गेय पद परम्परा
7. लोकोक्तियों व मुहावरों का प्रचुर प्रयोग

कृष्णभक्ति काव्य के विविध संप्रदाय -

क्र.स. संप्रदाय का नाम प्रवर्तक आचार्य कृष्ण का स्वरूप
1 बल्लभ संप्रदायबल्लभाचार्य पूर्णानंद परब्रह्म पुरषोत्तम
2 निम्बार्क संप्रदाय निम्बार्काचार्य राधा – कृष्ण की युगल मूर्ति
3 राधाबल्लभ संप्रदाय हितहरिवंश राधा ही प्रमुख है , कृष्ण ईश्वरों के भी ईश्वर हैं
4 हरिदासी संप्रदाय (सखी संप्रदाय ) स्वामी हरिदास निकुंज बिहारी कृष्ण
5 चैतन्य संप्रदाय चैतन्य महाप्रभु ब्रजेन्द्र कुमार कृष्ण



1, बल्लभ संप्रदाय – प्रवर्तक - बल्लभाचार्य 

जन्मस्थान – ग्राम – चम्पारन , जिला – रायपुर

गुरु – विष्णु स्वामी
दार्शनिक मत – शुद्धाद्वैत ( पुष्टि मार्ग )

पुष्टिमार्ग – जिस मार्ग में सब भावों में लौकिक विषय का त्याग है और उन भावों के सहित देहादि को समर्पण है , वह पुष्टिमार्ग कहलाता है | इस मार्ग के पथिक किसी लौकिक साधन का आश्रय नहीं लेते |


अष्टछाप – बल्लभाचार्य जी के पुष्टिमार्ग को मानने वाले वे आठ कवि जिन पर बल्लभाचार्य जी के पुत्र गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने आशीर्वाद की छाप लगाई ‘अष्टछाप’ के नाम से जाने गए | इन आठ कृष्ण भक्त कवियों में चार बल्लभाचार्य के शिष्य थे तथा चार बिट्ठलनाथ के |



2. निम्बार्क संप्रदाय – प्रवर्तक – निम्बार्काचार्य

मूल नाम – आरुणि

गुरु – नारद मुनि
दार्शनिक मत – द्वैताद्वैतवाद


ग्रन्थ – 
1 वेदांत परिजात सौरभ 

2 दशश्लोकी 
3 मन्त्र रहस्य 
4 प्रपन्न कल्पवल्ली


विशेष तथ्य -

1 राजस्थान में सलेमाबाद में इस संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी है |

2 इस संप्रदाय के सर्वप्रथम उपदेष्टा आचार्य हंस माने जाते हैं |
3 राधाबल्लभ संप्रदाय – प्रवर्तक – स्वामी हितहरिवंश गोस्वामी (1502 – 1573 ई. )


3 राधाबल्लभ संप्रदाय – प्रवर्तक – स्वामी हितहरिवंश गोस्वामी (1502 – 1573 ई. )

प्रमुख रचनाएँ – 
1 हित चौरासी 

2 राधा सुधा निधि
3 स्फूट वाणी 
4 यमुनाष्टक


विशेष तथ्य –

1 इस संप्रदाय के अंतर्गत राधा को कृष्ण से भी बड़ा माना गया है |

2 इस संप्रदाय के अंतर्गत प्रेम में ‘तत्सुखी भाव’ को स्थान दिया गया है |
3 इस संप्रदाय में उपासना का आधार ‘रस’ माना जाता है |

4. सखी संप्रदाय – 
प्रवर्तक – स्वामी हरिदास

प्रमुख रचनाएँ - 
1 सिद्धांत पद 

2 केलिमाल


सिद्धांतों का परिचयात्मक ग्रन्थ निजमत सिद्धांत



विशेष तथ्य –

1 यह निम्बार्क संप्रदाय की ही एक शाखा मानी जाती है |

2 इस संप्रदाय में निकुंजबिहारी श्रीकृष्ण सर्वोपरि माने जाते हैं |


5. चैतन्य संप्रदाय – 
प्रवर्तक – चैतन्य महाप्रभु

जन्मस्थान – नवद्वीप ( बंगाल )
दार्शनिक सिद्धांत – अचिन्त्यभेदाभेद
प्रमुख ग्रन्थ – गोविन्द भाष्य


विशेष तथ्य – इन्होंने ‘ईश्वर , जीव , प्रकृति , काल और कर्म’ ये पाँच तत्व स्थिर करते हुए ईश्वर को विभू चैतन्य , सर्वज्ञ , स्वतंत्र , मुक्तिदाता और विज्ञानरूप कहा है |

प्रमुख कृष्णभक्त कवि एवं कृतियाँ -

क्र.स. कवि का नामजन्म – मृत्यु कृतियों का नाम
1 सूरदास1478 – 1583 ईसूरसागर , साहित्य लहरी , सूर सारावली
2 कुंभनदास1468 – 1583 ई. 186 पद ‘पद संग्रह’ में संकलित
3 कृष्णदास1496 – 1578 ई. जुगलमान चरित्र , भ्रमरगीत , प्रेमतत्व निरूपण
4 नंददास1533 – 1583 ई. अनेकार्थ मंजरी , रस मंजरी , मान मंजरी , विरह मंजरी ,राम पंचाध्यायी आदि
5 गोविन्दस्वामी1505 – 1585 ई.252 पद ‘गोविन्द स्वामी के पद’ में संकलित
6 चतुर्भुजदास1530 – 1585 ई.चतुर्भुज कीर्तन संग्रह ,कीर्तनावली,दानलीला
7 श्रीभट्ट 1595 ई. युगल शतक
8 स्वामी हरिदास 1478 ई ,1573 ई. सिद्धांत के पद , केलिमाल
9 माधव दास माधुरी 1618 – 1653 ई.केलिमाधुरी ,वंशीवट माधुरी ,वृन्दावन माधुरी
10 मीराबाई 1504 – 1563 ई. स्फुट पद
11 रसखान1533 – 1618 ई.सुजान रसखान


कृष्णभक्ति काव्यधारा के प्रमुख कवि -



1. सूरदास

जन्मकाल – 1478 ई.

जन्मस्थान – डॉ नगेन्द्र के अनुसार इनका जन्म दिल्ली के निकट ‘सीही’ नामक ग्राम में एक ‘सारस्वत ब्राह्मण’ परिवार में हुआ था |
मृत्युकाल व मृत्युस्थान – 1583 ई. , ‘पारसोली’ गाँव
गुरु – बल्लभाचार्य
काव्य भाषा – ब्रज


भक्ति पद्धति – ये प्रारम्भ में ‘दास्य’ एवं ‘विनय’ भाव पद्धति से लेखन कार्य करते थे , परन्तु बाद में गुरु बल्लभाचार्य की आज्ञा पर इन्होंने ‘सख्य , वात्सल्य एवं माधुर्य’ भाव पद्धति को अपनाया |



प्रमुख रचनाएँ -

1 सूरसागर – सर्वश्रेष्ठ कृति
  •  इसका सर्वप्रथम प्रकाशन नागरी प्रचारिणी सभा , काशी द्वारा करवाया गया था |
  • भागवत पुराण की तरह इसका विभाजन भी बारह स्कंधों में किया गया है |
  • इसकी कथा भागवत पुराण के दशम स्कन्ध से ली गई है |



2 साहित्यलहरी – रीतिपरक काव्य
  • अलंकार निरुपण दृष्टि से भी इस ग्रन्थ का अत्यधिक महत्त्व है |

3 सूरसारावली – विवादित या अप्रामाणिक रचना मानी जाती है |


विशेष तथ्य -


1 सूरदासजी को खंजननयन , भावाधिपति ,वात्सल्य रस सम्राट, जीवनोत्सव का कवि आदि नामों से भी पुकारा जाता है |


2 हिंदी साहित्य जगत में ‘भ्रमरगीत’ परम्परा का समावेश सूरदास द्वारा ही किया हुआ माना जाता है |

3 आचार्य शुक्ल के अनुसार – ‘सूरदास की भक्ति पद्धति का मेरुदंड पुष्टिमार्ग ही है |’


2. नंददास

जन्मकाल व जन्मस्थान – 1533 ई. , गाँव – रामपुर

मृत्युकाल – 1583 ई.


प्रमुख रचनाएँ -

1 अनेकार्थ मंजरी 

2 मान मंजरी 
3 विरह मंजरी 
4 रूप मंजरी
5 रस मंजरी 
6 भंवरगीत 
7 रास पंचाध्यायी 
8 सुदामा चरित
9 सिद्धांत पंचाध्यायी 
10 नंददास पदावली 
11 रुक्मिणी मंगल 
12 गोवर्धनलीला
13 गोवर्धनलीला 
14 दशमस्कंध भागवत 
15 अनेकार्थमाला


विशेष तथ्य -

1 ये अष्टछाप कवियों में सबसे कनिष्ठ कवि माने जाते हैं |

2 इन्होंने बचपन में तुलसीदास के साथ ही श्री नृसिंह पंडित से संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया था |

3. चतुर्भुजदास
जन्मकाल व जन्मस्थान – 1530 ई. , ग्राम जमुनावती (उ . प्र )

मृत्युकाल – 1585 ई.


प्रमुख रचनाएँ -

1 चतुर्भुज कीर्तन संग्रह 

2 कीर्तनावली 
3 दानलील 
4 द्वादशयश
5 भक्ति प्रताप 
6 मधुमालती 
7 हित जू को मंगल


4. कृष्णदास 

जन्मकाल व जन्मस्थान – 1496 ई. , गाँव – चिलोतरा (गुजरात )

मृत्युकाल – 1578 ई.
गुरु – वल्लभाचार्य


प्रमुख रचनाएँ – 
1 जुगलमान चरित्र 

2 भ्रमरगीत 
3 प्रेम तत्व निरुपण


विशेष तथ्य -

1 ये अष्टछाप कवियों में सबसे कुशाग्रबुद्धि कवि माने जाते हैं |

2 ये अष्टसखाओं में ‘अधिकारी’ के नाम से प्रसिद्ध थे |


भ्रमरगीत परंपरा 


इस प्रकार के काव्यों में उद्धव – गोपी संवाद होता है | भ्रमरगीत का तात्पर्य उस उपालंभ काव्य से है जिसमें नायक की निष्ठुरता के साथ – साथ नायिका की मूक व्यथा , विरह वेदना का मार्मिक चित्रण करते हुए नायक के प्रति नायिका के उपालंभों का चित्रण किया जाता है | इस परम्परा के कुछ ग्रन्थ इस प्रकार हैं –

क्र.स रचनारचयिताप्रमुख विशेषताएँ
1

भ्रमरगीतसूरदास1 भागवत के दशम स्कंध पर आधारित |

2 इसमें गोपियाँ भावुक अधिक हैं व तर्कशील कम |
2 भंवरगीतनंददास1 दार्शनिकता का पुट है |

2 गोपियाँ तर्कशील अधिक हैं |
3 भ्रमरदूतसत्य नारायण कविरत्न1 वात्सल्य वियोग का काव्य |

2 युगीन समस्याओं का चित्रण |
4 उद्धवशतकजगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’1 भक्तिकालीन आख्यान एवं रीतिकालीन कलेवर का समन्वय|

2 उक्ति चातुर्य वर्णन कौशल में अद्वितीय |

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1 comment:

  1. जी बहुत ही अच्छी पाठ्यसामग्री

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