जिन सगुण भक्त कवियों के द्वारा भगवान् विष्णु के अवतार के रूप में ‘कृष्ण’ की उपासना की गयी, उनके द्वारा रचित काव्य कृष्ण भक्ति काव्य कहलाता है |
प्रवर्तक – वल्लभाचार्य जी
कृष्णभक्ति काव्य की प्रमुख विशेषताएँ -
1. कृष्ण का ब्रह्म रूप में चित्रण
2. कृष्ण की बाललीलाओं व रसलीलाओं का अधिक चित्रण
3. वात्सल्य व श्रृंगार रस की प्रधानता
4. मुक्तक काव्यों का अधिक लेखन
5. ब्रजभाषा का अधिक प्रयोग
6. गेय पद परम्परा
7. लोकोक्तियों व मुहावरों का प्रचुर प्रयोग
कृष्णभक्ति काव्य के विविध संप्रदाय -
क्र.स. | संप्रदाय का नाम | प्रवर्तक आचार्य | कृष्ण का स्वरूप |
1 | बल्लभ संप्रदाय | बल्लभाचार्य | पूर्णानंद परब्रह्म पुरषोत्तम |
2 | निम्बार्क संप्रदाय | निम्बार्काचार्य | राधा – कृष्ण की युगल मूर्ति |
3 | राधाबल्लभ संप्रदाय | हितहरिवंश | राधा ही प्रमुख है , कृष्ण ईश्वरों के भी ईश्वर हैं |
4 | हरिदासी संप्रदाय (सखी संप्रदाय ) | स्वामी हरिदास | निकुंज बिहारी कृष्ण |
5 | चैतन्य संप्रदाय | चैतन्य महाप्रभु | ब्रजेन्द्र कुमार कृष्ण |
1, बल्लभ संप्रदाय – प्रवर्तक - बल्लभाचार्य
जन्मस्थान – ग्राम – चम्पारन , जिला – रायपुर
गुरु – विष्णु स्वामीदार्शनिक मत – शुद्धाद्वैत ( पुष्टि मार्ग )
पुष्टिमार्ग – जिस मार्ग में सब भावों में लौकिक विषय का त्याग है और उन भावों के सहित देहादि को समर्पण है , वह पुष्टिमार्ग कहलाता है | इस मार्ग के पथिक किसी लौकिक साधन का आश्रय नहीं लेते |
अष्टछाप – बल्लभाचार्य जी के पुष्टिमार्ग को मानने वाले वे आठ कवि जिन पर बल्लभाचार्य जी के पुत्र गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने आशीर्वाद की छाप लगाई ‘अष्टछाप’ के नाम से जाने गए | इन आठ कृष्ण भक्त कवियों में चार बल्लभाचार्य के शिष्य थे तथा चार बिट्ठलनाथ के |
2. निम्बार्क संप्रदाय – प्रवर्तक – निम्बार्काचार्य
मूल नाम – आरुणि
गुरु – नारद मुनिदार्शनिक मत – द्वैताद्वैतवाद
ग्रन्थ –
1 वेदांत परिजात सौरभ
2 दशश्लोकी3 मन्त्र रहस्य4 प्रपन्न कल्पवल्ली
विशेष तथ्य -
1 राजस्थान में सलेमाबाद में इस संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी है |
2 इस संप्रदाय के सर्वप्रथम उपदेष्टा आचार्य हंस माने जाते हैं |3 राधाबल्लभ संप्रदाय – प्रवर्तक – स्वामी हितहरिवंश गोस्वामी (1502 – 1573 ई. )
3 राधाबल्लभ संप्रदाय – प्रवर्तक – स्वामी हितहरिवंश गोस्वामी (1502 – 1573 ई. )
प्रमुख रचनाएँ –
1 हित चौरासी
2 राधा सुधा निधि3 स्फूट वाणी4 यमुनाष्टक
विशेष तथ्य –
1 इस संप्रदाय के अंतर्गत राधा को कृष्ण से भी बड़ा माना गया है |
2 इस संप्रदाय के अंतर्गत प्रेम में ‘तत्सुखी भाव’ को स्थान दिया गया है |
4. सखी संप्रदाय –
प्रवर्तक – स्वामी हरिदास
प्रमुख रचनाएँ -
1 सिद्धांत पद
2 केलिमाल
सिद्धांतों का परिचयात्मक ग्रन्थ – निजमत सिद्धांत
विशेष तथ्य –
1 यह निम्बार्क संप्रदाय की ही एक शाखा मानी जाती है |
2 इस संप्रदाय में निकुंजबिहारी श्रीकृष्ण सर्वोपरि माने जाते हैं |
5. चैतन्य संप्रदाय –
प्रवर्तक – चैतन्य महाप्रभु
जन्मस्थान – नवद्वीप ( बंगाल )दार्शनिक सिद्धांत – अचिन्त्यभेदाभेदप्रमुख ग्रन्थ – गोविन्द भाष्य
विशेष तथ्य – इन्होंने ‘ईश्वर , जीव , प्रकृति , काल और कर्म’ ये पाँच तत्व स्थिर करते हुए ईश्वर को विभू चैतन्य , सर्वज्ञ , स्वतंत्र , मुक्तिदाता और विज्ञानरूप कहा है |
प्रमुख कृष्णभक्त कवि एवं कृतियाँ -
क्र.स. | कवि का नाम | जन्म – मृत्यु | कृतियों का नाम |
1 | सूरदास | 1478 – 1583 ई | सूरसागर , साहित्य लहरी , सूर सारावली |
2 | कुंभनदास | 1468 – 1583 ई. | 186 पद ‘पद संग्रह’ में संकलित |
3 | कृष्णदास | 1496 – 1578 ई. | जुगलमान चरित्र , भ्रमरगीत , प्रेमतत्व निरूपण |
4 | नंददास | 1533 – 1583 ई. | अनेकार्थ मंजरी , रस मंजरी , मान मंजरी , विरह मंजरी ,राम पंचाध्यायी आदि |
5 | गोविन्दस्वामी | 1505 – 1585 ई. | 252 पद ‘गोविन्द स्वामी के पद’ में संकलित |
6 | चतुर्भुजदास | 1530 – 1585 ई. | चतुर्भुज कीर्तन संग्रह ,कीर्तनावली,दानलीला |
7 | श्रीभट्ट | 1595 ई. | युगल शतक |
8 | स्वामी हरिदास | 1478 ई ,1573 ई. | सिद्धांत के पद , केलिमाल |
9 | माधव दास माधुरी | 1618 – 1653 ई. | केलिमाधुरी ,वंशीवट माधुरी ,वृन्दावन माधुरी |
10 | मीराबाई | 1504 – 1563 ई. | स्फुट पद |
11 | रसखान | 1533 – 1618 ई. | सुजान रसखान |
कृष्णभक्ति काव्यधारा के प्रमुख कवि -
1. सूरदास
जन्मकाल – 1478 ई.
जन्मस्थान – डॉ नगेन्द्र के अनुसार इनका जन्म दिल्ली के निकट ‘सीही’ नामक ग्राम में एक ‘सारस्वत ब्राह्मण’ परिवार में हुआ था |मृत्युकाल व मृत्युस्थान – 1583 ई. , ‘पारसोली’ गाँवगुरु – बल्लभाचार्यकाव्य भाषा – ब्रज
भक्ति पद्धति – ये प्रारम्भ में ‘दास्य’ एवं ‘विनय’ भाव पद्धति से लेखन कार्य करते थे , परन्तु बाद में गुरु बल्लभाचार्य की आज्ञा पर इन्होंने ‘सख्य , वात्सल्य एवं माधुर्य’ भाव पद्धति को अपनाया |
प्रमुख रचनाएँ -
1 सूरसागर – सर्वश्रेष्ठ कृति
- इसका सर्वप्रथम प्रकाशन नागरी प्रचारिणी सभा , काशी द्वारा करवाया गया था |
- भागवत पुराण की तरह इसका विभाजन भी बारह स्कंधों में किया गया है |
- इसकी कथा भागवत पुराण के दशम स्कन्ध से ली गई है |
2 साहित्यलहरी – रीतिपरक काव्य
- अलंकार निरुपण दृष्टि से भी इस ग्रन्थ का अत्यधिक महत्त्व है |
3 सूरसारावली – विवादित या अप्रामाणिक रचना मानी जाती है |
विशेष तथ्य -
1 सूरदासजी को खंजननयन , भावाधिपति ,वात्सल्य रस सम्राट, जीवनोत्सव का कवि आदि नामों से भी पुकारा जाता है |
2 हिंदी साहित्य जगत में ‘भ्रमरगीत’ परम्परा का समावेश सूरदास द्वारा ही किया हुआ माना जाता है |
3 आचार्य शुक्ल के अनुसार – ‘सूरदास की भक्ति पद्धति का मेरुदंड पुष्टिमार्ग ही है |’
2. नंददास
जन्मकाल व जन्मस्थान – 1533 ई. , गाँव – रामपुर
मृत्युकाल – 1583 ई.
प्रमुख रचनाएँ -
1 अनेकार्थ मंजरी
2 मान मंजरी3 विरह मंजरी4 रूप मंजरी5 रस मंजरी6 भंवरगीत7 रास पंचाध्यायी8 सुदामा चरित9 सिद्धांत पंचाध्यायी10 नंददास पदावली11 रुक्मिणी मंगल12 गोवर्धनलीला13 गोवर्धनलीला14 दशमस्कंध भागवत15 अनेकार्थमाला
विशेष तथ्य -
1 ये अष्टछाप कवियों में सबसे कनिष्ठ कवि माने जाते हैं |
2 इन्होंने बचपन में तुलसीदास के साथ ही श्री नृसिंह पंडित से संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया था |
3. चतुर्भुजदास
जन्मकाल व जन्मस्थान – 1530 ई. , ग्राम जमुनावती (उ . प्र )
मृत्युकाल – 1585 ई.
प्रमुख रचनाएँ -
1 चतुर्भुज कीर्तन संग्रह
2 कीर्तनावली3 दानलील4 द्वादशयश5 भक्ति प्रताप6 मधुमालती7 हित जू को मंगल
4. कृष्णदास
जन्मकाल व जन्मस्थान – 1496 ई. , गाँव – चिलोतरा (गुजरात )
मृत्युकाल – 1578 ई.गुरु – वल्लभाचार्य
प्रमुख रचनाएँ –
1 जुगलमान चरित्र
2 भ्रमरगीत3 प्रेम तत्व निरुपण
विशेष तथ्य -
1 ये अष्टछाप कवियों में सबसे कुशाग्रबुद्धि कवि माने जाते हैं |
2 ये अष्टसखाओं में ‘अधिकारी’ के नाम से प्रसिद्ध थे |
भ्रमरगीत परंपरा
इस प्रकार के काव्यों में उद्धव – गोपी संवाद होता है | भ्रमरगीत का तात्पर्य उस उपालंभ काव्य से है जिसमें नायक की निष्ठुरता के साथ – साथ नायिका की मूक व्यथा , विरह वेदना का मार्मिक चित्रण करते हुए नायक के प्रति नायिका के उपालंभों का चित्रण किया जाता है | इस परम्परा के कुछ ग्रन्थ इस प्रकार हैं –
क्र.स | रचना | रचयिता | प्रमुख विशेषताएँ |
1 | भ्रमरगीत | सूरदास | 1 भागवत के दशम स्कंध पर आधारित | 2 इसमें गोपियाँ भावुक अधिक हैं व तर्कशील कम | |
2 | भंवरगीत | नंददास | 1 दार्शनिकता का पुट है | 2 गोपियाँ तर्कशील अधिक हैं | |
3 | भ्रमरदूत | सत्य नारायण कविरत्न | 1 वात्सल्य वियोग का काव्य | 2 युगीन समस्याओं का चित्रण | |
4 | उद्धवशतक | जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर’ | 1 भक्तिकालीन आख्यान एवं रीतिकालीन कलेवर का समन्वय| 2 उक्ति चातुर्य वर्णन कौशल में अद्वितीय | |
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जी बहुत ही अच्छी पाठ्यसामग्री
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