Sunday 8 July 2018

Kavya Lakshan [ काव्य लक्षण ]

काव्य लक्षण (Kavya Lakshan)

समय – समय पर देश के विद्वानों ने काव्य के जो लक्षण निर्धारित किए हैं , वे निम्न हैं –

संस्कृत के आचार्य -

1. आचार्य भामह के अनुसार – 
‘शब्दार्थों सहितौ काव्यम् गद्यम पद्यं च द्विधा |”
                                            (काव्यालंकार)
अर्थात् शब्द और अर्थ का संयोग काव्य है तथा यह काव्य दो प्रकार का होता है |
1 गद्य काव्य 2 पद्य काव्य

2. आचार्य मम्मट के अनुसार – 
“तददोषौ शब्दार्थों सगुणावनलंकृती पुन: क्वापि |”
                                               (काव्यप्रकाश)

अर्थात् ऐसा शब्दार्थ जो दोष से रहित हो , माधुर्य ,ओज, प्रसाद आदि गुणों से युक्त हो तथा कभी – कभी अलंकार रहित हो तो उसे काव्य कहते हैं |

3. आचार्य विश्वनाथ के अनुसार – 
“वाक्यं रसात्मकं काव्यम्”
                (साहित्यदर्पण)
अर्थात् रस से युक्त वाक्य ही काव्य है |

4. आचार्य जगन्नाथ के अनुसार –
“रमणीयार्थप्रतिपादक: शब्द: काव्यम्”
                                    (रसगंगाधर )
अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादक शब्द ही काव्य कहलाता है |

5. आचार्य हेमचन्द्र के अनुसार – 
“अदोषौ सगुणौ सालंकारौ च शब्दार्थों काव्यम् |”
                                            (काव्यानुशासन)
अर्थात् दोषों से रहित , गुणों व अलंकारों से युक्त शब्दार्थ काव्य कहलाता है |

6. आचार्य दण्डी के अनुसार – 
“शरीरं तावदिष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली |”
                                       (काव्यादर्श)
अर्थात् काव्य का शरीर तो इष्ट अर्थ से युक्त पदावली होता है |

7 आनंदवर्द्धन के अनुसार –
“काव्यस्यात्मा ध्वनि: |” शब्दार्थ , शरीरं तावत्काव्यम् |
अर्थात् काव्य की आत्मा ‘ध्वनि’ और शब्दार्थ शरीर है |

हिंदी के कवि-

1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार – 
“जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है, उसी प्रकार ह्रदय की मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है | ह्रदय की इसी मुक्ति साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आयी है , उसे कविता कहते हैं |”

2 आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के अनुसार – 
“प्रभाव डालने की क्षमता और आनंद प्रदान करने की शक्ति ही काव्य है |”

3 सुमित्रानंदन पंत के अनुसार – 
“कविता हमारे परिपूर्ण क्षणों की वाणी है |”

4 महादेवी वर्मा के अनुसार – 
“कविता कवि विशेष की भावनाओं का चित्रण है और वह चित्रण इतना ठीक है कि उससे वैसी ही भावनाएँ किसी दूसरे के ह्रदय में आविर्भूत होती हैं |”

5 जयशंकर प्रसाद के अनुसार – 
“सत्य की अपने पूर्ण सौन्दर्य के साथ अभिव्यक्ति काव्य है|”

6 प्रेमचन्द के अनुसार – 
“काव्य जीवन की आलोचना है |”

7 चिंतामणि के अनुसार –
“सगुन अलंकारन सहित , दोषरहित जो होई |
सबद अर्थ वारौ कवित्त , विबुध कहत सब कोई ||”

8 ठाकुर कवि के अनुसार – 
“पंडित और प्रवीनन को जोइ चित्त हरै सो कवित्त कहावै |”

9 बाबू गुलाबराय के अनुसार – 
“काव्य संसार के प्रति कवि की भाव प्रधान मानसिक प्रतिक्रियाओं के श्रेय को प्रेय देने वाली अभिव्यक्ति है |”

अंग्रेजी के कवि -

1 कॉलरेज – 
Poetry is the best words in their best order.
अर्थात् सर्वोत्तम शब्द अपने सर्वोत्तम क्रम में कविता होती है |

2 ड्राइडन –
Poetry is articulate music.
अर्थात् कविता सुस्पष्ट संगीत है |

3 मैथ्यू अनॉल्ड – 
Poetry is at bottom , a criticism of life .
अर्थात् कविता अपने मूल रूप में जीवन की आलोचना है |

4 वर्ड्सवर्थ – 
Poetry is the spontaneous overflow of powerful feelings, it takes its origin from emotions recollected in tranquility.
अर्थात् कविता प्रबल अनुभूतियों का सहज उद्रेक है ,जिसका स्रोत शांति के समय में स्मृत मनोवेगों से फूटता है |

5 शेली – 
Poetry is the record of the best and happiest moments of the happiest and best minds.
अर्थात् सर्वमुखी और सर्वोत्तम मनों के सर्वोत्तम और सर्वाधिक सुखपूर्ण क्षणों का लेखा कविता है |

6 डॉ जॉनसन –
Poetry is the art of uniting pleasure with truth by calling imagination to the help of reason.
अर्थात् कविता सत्य और आनंद के एकीकरण की कला है , जिसमें विवेक के साथ कल्पना का प्रयोग होता है |


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