‘वाच्य’ शब्द का अर्थ है – बोलने का विषय |
वाच्य वह रूप है जो हमें यह बताता है कि क्रिया द्वारा कही गई बात का मुख्य विषय कर्ता है , कर्म है अथवा भाव है |
मोहन पत्र लिखता है | - कर्तृवाच्य
मोहन द्वारा पत्र लिखा जाता है | - कर्मवाच्य
मोहन से नहीं लिखा जाता है | - भाववाच्य
मोहन ने पत्र लिखा | (विभक्ति चिह्न ) - कर्मवाच्य
वाच्य के भेद – वाच्य के तीन भेद हैं ;
1. कर्तृवाच्य 2. कर्मवाच्य 3. भाववाच्य
1. कर्तृवाच्य – जब क्रिया का मुख्य विषय कर्ता हो अर्थात जब क्रिया का संबंध कर्म और भाव से न होकर कर्ता से होता है तो वह वाच्य कर्तृवाच्य होता है | क्रिया के लिंग , वचन तथा पुरुष भी कर्ता के अनुसार ही लगाए जाते हैं |
बच्चे खेलते हैं | - कर्ता और क्रिया दोनों बहुवचन हैं |
राम खाना खाता है | - कर्ता और क्रिया दोनों पुल्लिंग हैं |
रमा खाना खाती है | - कर्ता और क्रिया दोनों स्त्रीलिंग हैं |
इन सभी वाक्यों से स्पष्ट है कि जहाँ क्रिया कर्ता के अनुसार होती है वहाँ वाच्य कर्तृवाच्य होता है |
2. कर्मवाच्य – जब क्रिया का विषय कर्ता न होकर कर्म होता है तो वह वाच्य कर्मवाच्य होता है | क्रिया के लिंग और वचन भी कर्म के अनुसार ही लगाए जाते हैं ; जैसे –
सोहन द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है | - कर्म और क्रिया दोनों स्त्रीलिंग हैं |
धोबी से कपड़े धोये गए | - कर्म और क्रिया दोनों बहुवचन हैं |
इन सभी वाक्यों से स्पष्ट है कि जहाँ क्रिया कर्म के अनुसार होती है वहाँ वाच्य कर्मवाच्य होता है |
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कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के नियम
a. कर्ता के साथ ‘से’ , ‘ के द्वारा’ अथवा ‘द्वारा’ विभक्ति लगाकर कर्मवाच्य वाक्य बनाया जा सकता है ; जैसे –
मोहन के द्वारा पाठ पढ़ा जाता है |
b. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय क्रिया का रूप परिवर्तन तो होता है परन्तु उसके काल में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है ; जैसे –
मोनिका काम कर रही है | - कर्तृवाच्य
मोनिका से काम किया जा रहा है | - कर्मवाच्य
c. कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को कर्मवाच्य बनाते समय सामान्य भूतकाल में परिवर्तित कर दिया जाता है ; जैसे –
भारतीय सेना द्वारा सभी आतंकवादियों को मार दिया गया है |
d. कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को कर्मवाच्य बनाते समय संयोजी क्रिया ‘जाना’ क्रिया के उचित रूप का प्रयोग किया जाता है |
3. भाववाच्य - जब क्रिया का विषय कर्ता और कर्म न होकर भाव होता है तो वह वाच्य भाववाच्य होता है | क्रिया के लिंग और वचन भी भाव के अनुसार ही लगाए जाते हैं | भाववाच्य केवल अकर्मक क्रियाओं के साथ ही संभव है | भाववाच्य का प्रयोग असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए ‘नहीं’ के साथ किया जाता है ;
जैसे –
मुझसे चला नहीं जाता |
उससे सोचा भी नहीं जा सकता |
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कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाने के नियम
2. कर्ता के साथ ‘से’ अथवा ‘द्वारा’ विभक्ति लगाकर कर्मवाच्य वाक्य बनाया जा सकता है ; जैसे –
बालकों से लिखा नहीं जाता है |
3. कर्तृवाच्य में वाक्य की क्रिया को ही वाक्य का कर्ता बना दिया जाता है | भाववाच्य में क्रिया स्वयं प्रधान होती है ; जैसे –
घायल होने के कारण उससे उड़ा नहीं गया |
4. भाववाच्य वाक्यों में क्रिया सदा अन्य पुरुष , पुल्लिंग तथा एकवचन में रहती है | सहायक क्रिया के रूप में ‘जाना’ क्रिया के रूपों का प्रयोग होता है ; जैसे –
राम से नहीं सोया जाता है |
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